भगवान नरसिंह ने किया नौल धारा में स्नान

नई टिहरी। पुरातन परम्परानुसार भागीरथी तट स्थित भगवान नरसिंह को मुनेठ गांव से दशरथ पर्वत चोटी में बहने वाली नौली धारा में स्नान को ले जाया गया। करीब 15 किमी की खड़ी चढ़ाई में ढोल-नंगाड़ों व निशानों के साथ नरसिंह भगवान को स्नान कराने के बाद वापस मुनेठ स्थित मन्दिर के बाहर रखा गया है। भागीरथी नदी मे वेताल शिला घाट बागी गांव में स्नान के बाद भंडारा करा के नरसिंह देवता को मंदिर में प्रवेश कराया जाएगा। यह प्रथा विगत 120 वर्षों से भी अधिक समय से चली आ रही है। मान्यता है कि नरसिंह भगवान के दशरथ पर्वत पर स्नान के बाद क्षेत्र में पर्याप्त बारिश होती है। यह आज तक होता दिखता है। वर्षा होने के बाद ग्रामीणों की ओर से भंडारा करा कर नरसिंह भगवान को वापिस मंदिर में प्रवेश कराया जाता है। बताया जाता है कि कांडाधार गांव निवासी श्रद्धालु खिम्मा सिंह नेगी के सपने में नरसिंह भगवान आये थे जो इसे मुनेठ गांव में लाए थे। यह जानकारी देते उन्हीं के परिवार सदस्य महावीर सिंह नेगी ने बताया कि इस यात्रा की शुरुआत आज भी उनके परिवार की ओर से की जाती है। प्रत्येक तीसरे वर्ष नरसिंह देवता को श्रृंगार कर दशरथ पर्वत, वेताल शिला, बागी मे स्नान कराने ले जाए जाता है। फिर विधि विधान से पूजा अर्चना कर भंडारा करा कर वापस मंदिर के अंदर विराजमान किया जाता है। इस यात्रा में बलवंत सिंह की अगुवाई में ग्राम प्रधान रजनी देवी, पूर्व क्षेत्र प सदस्य अनिल सिंह, महादेव सिंह, वीर सिंह मनमोहन, मस्तान सिंह, गुड्डी देवी, सौणी देवी, कर्ण सिंह, डबल सिह, धर्मेंद्र, नवीन, रोशनी देवी सहित बड़ी संख्या में बालक बालिका भी दशरथ पर्वत पहुंचे।