भाकृअनुप- विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के निदेशक राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी फैलो के रूप में अकादमी में शामिल

अल्मोड़ा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के निदेशक, डा0 लक्ष्मी कान्त को राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (National Academy of Agricultural Sciences), नई दिल्ली की 27वीं वार्षिक बैठक में प्रतिष्ठित अकादमी की फैलोशिप प्रदान की गयी तथा फैलो के रूप में अकादमी में शामिल किया गया। ज्ञात हो कि राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी जो कि भारत में कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में सर्वोच्च अकादमी है, जिसकी प्रतिष्ठता विश्व विख्यात है। कृषि विज्ञान से सम्बन्धित 9 विषय के कुल 34 फैलो जिसमें 04 विदेशी/प्रवासी फैलो भी शामिल हैं, को इस वर्ष अकादमी में शामिल किया गया है। दिनांक 13 अगस्त, 2020 को अकादमी के आनलाइन कार्यक्रम में यह फैलोशिप प्रदान की गयी।

डॉ. लक्ष्मी कान्त को यह फैलोशिप उनके द्वारा गेहूँ तथा जौ में किये गये शोध के फलस्वरूप गेहूँ की 11 उन्नत रोगरोधी तथा जौ की 05 उन्नत रोगरोधी प्रजातियों के विकास के लिए दिया गया । उल्लेखनीय है कि किसानों के खेतों पर किये गये विभिन्न प्रदर्शनों में देखा गया है कि यह प्रजातियाँ उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में 30-40 प्रतिशत तक उत्पादकता वृद्धि में सक्षम हैं। इन प्रजातियों में गेहूँ की द्विउद्देशीय हरा चारा एवं दाना देने वाली प्रजाति वी0एल0 गेहूँ 829, देर से बुवाई हेतु वी0एल0 गेहूँ 892 एवं समय से बुवाई हेतु वी० गेहूँ 907 प्रजातियाँ प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं इनका मुख्य शोध शीतकालीन गेहूँ के वांछित गुणों को प्रजनन के द्वारा अनुकमण बसन्तकालीन गेहूँ में करने में रहा है। यहाँ यह भी बताना महत्वपूर्ण है कि पूरे देश में भाकृअनुप- विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा में ही शीतकालीन गेहूँ का सर्वाधिक 3454 जननद्रव्य है, फलस्वरूप भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान को शीतकालीन गेहूँ का नेशनल रजिस्टर भी माना जाता है।

उल्लेखनीय है कि डा0 लक्ष्मी कान्त ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा में कार्य करते हुये यह सम्मान प्राप्त करने वाले प्रथम वैज्ञानिक हैं। अभी तक डॉ. लक्ष्मी कान्त के 64 से अधिक शोधपत्र विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं इस अवसर पर डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा अकादमी के वर्तमान अध्यक्ष ने डा0 लक्ष्मी कान्त की इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी है।


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