उत्तराखंड संस्कृत विवि में राष्ट्रीय व्याख्यान आयोजित

हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में शुक्रवार को गूगल मीट के माध्यम से राष्ट्रीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय व्याख्यानमाला का शुभारंभ करते हुए आधुनिक ज्ञान-विज्ञान संकाय के डीन तथा आंतरिक गुणवत्ता अश्ववासन प्रकोष्ठ के निदेशक, प्रो. दिनेश चंद्र चमोला ने कहा कि हिंदी भारतीय मनीषा की वाणी है। भारतीय जीवन-मूल्यों एवं संस्कृति की संवाहिका हिंदी आज खेत-खलियान से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपने प्रभुत्व व प्रभाव का डंका बजवाने में सफल सिद्ध हुई है। शैक्षिक गुणवत्ता के संवर्धन में हिंदी एवं भारतीय भाषाओं की भूमिका एवं महत्व अनिर्वचनीय है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि दुनिया में सबसे प्राचीन ज्ञान की समृद्ध परंपरा संस्कृत भाषा की ही देन है। हिंदी की प्रगति से आज विश्व में भारतीयों का मान-सम्मान बढ़ा है। आज हिंदी पूरे विश्व में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। राष्ट्र नायक से लेकर एक जन सामान्य तक हिंदी को बढ़ावा देने में लगे हैं। नई शिक्षा नीति से शिक्षा में हिंदी तथा भारतीय भाषाओं का महत्व बढ़ा है। केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के कुलाधिपति प्रोफेसर हर महेंद्र सिंह बेदी ने कहा कि हिंदी अब केवल भाषा नहीं रहा। हिंदी का अर्थ अब भारत है। हिंदी विश्व-बाजार के साथ जुडक़र अपना नया स्वरूप प्रस्तुत कर रही है। हिंदी की ही ताकत है जिसके चलते हिंदी के प्रति विश्व का नजरिया बदला है। हिंदी में वह क्षमता है कि वह पुन: भारत को अखंड भारत बना सकती है। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने इस प्रकार के कार्यक्रमों की सतत श्रृंखला आयोजित की जाने पर हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त की। कार्यक्रम में डॉ. शैलेश कुमार तिवरी, डॉ सुमन भट्ट, डॉ. राकेश कुमार सिंह, श्री सुशील चमोली समेत शोध छात्र अनूप बहुखंडी, आरती सैनी, अनीता रानी, दीपक रतूड़ी, रागनी, रीना अग्रवाल, नरेंद्र थपलियाल, शुभम रतूड़ी, भरत भार्गव आदि शामिल रहे।


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