विद्यालयों में दिव्यांग अधिनियम लागू किया जाए : तरुण विजय

देहरादून। सरकार दिव्यांग बाल शिक्षण के क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण योजनाओं पर काम कर रही है। बाल वाटिका प्रकल्प देश की प्रामि पहल है, जो यहाँ शुरू की गयी है। परिवारों को चाहिए कि वे दिव्यांग बच्चों को ज्यादा से ज्यादा समय दें। ये बात डीजी एजुकेशन बंशीधर तिवारी ने झाझरा स्थिति एक पब्लिक स्कूल में आयोजित पहली दिव्यांग बाल शिक्षा कार्यशाला में कही। पूर्व राज्यसभा सांसद व कार्यक्रम के अध्यक्ष तरुण विजय ने कहा कि दिव्यांग बच्चों में लर्निंग डिसएबिलिटी सर्वाधिक व्यापक एवं शिक्षकों द्वारा उपेक्षित समस्या है। माता-पिता के आपसी झगड़ों, घरेलू तनाव एवं माता-पिता द्वारा अपने बच्चों की दिव्यांगत स्वीकार न करने की मानसिकता भी बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर कुप्रभाव डलती है। उन्होंने कहा प्रदेश के अधिकांश विद्यालयों में डिसएबिलिटी एक्ट लागू ही नहीं है। शिक्षण संस्थानों में विशेष सक्षम बच्चों के लिए प्रशिक्षित अध्यापकों की बेहद कमी है। जो दूर होनी चाहिए। कार्यालय में प्रख्यात शिक्षाविद् रिजवान अली, सक्षम संगठन के सचिव अनंत मेहरा, राजकीय मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय से डा. विनय शर्मा तथा हिमालयन अस्पताल स नीलम पाण्डे ने विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखे। इसमें कुल 65 विद्यालयों से आए तीन सौ अध्यापकों एवं लर्निंग डिसएबिलिटी विशेषज्ञ शामिल हुए।


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