राज्यपाल मलिक को वार्ताकार बनाने का नहीं है सरकार का इरादा

कमेटी की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट के रुख के बाद ही कोई निर्णय

टिकैत ने की थी वार्ताकारों में शामिल करने की मांग

नई दिल्ली (आरएनएस)। कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए सरकार का मिजोरम के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को वार्ताकारों में शामिल करने की कोई योजना नहीं है। सरकार की सारी रणनीति सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट और इस पर शीर्ष अदालत के रुख पर टिकी हुई है। यह कमेटी इसी महीने शीर्ष अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है।
दरअसल राज्यपाल मलिक किसान आंदोलन पर अचानक सरकार के खिलाफ हमलावर हुए हैं। आंदोलन लंबा खिंचने पर मलिक ने सरकार की तीखी आलोचना की है। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग मान कर आंदोलन को खत्म कराने का सुझाव दिया है। इसके बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार से वार्ताकारों की टीम में बदलाव की मांग करते हुए इसमें राज्यपाल मलिक को शामिल करने की मांग की थी।

सरकार की नए सिरे से पहल की योजना नहीं
सरकार का आंदोलन खत्म कराने के लिए नए सिरे से पहल करने की कोई योजना नहींं है। इससे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान कृषि कानूनों के मुद्दा बनने का खतरा है। सरकार की सारी रणनीति कमेटी की रिपोर्ट और उस पर शीर्ष अदालत के रुख पर है। सरकार के एक वरिष्ठï मंत्री के मुताबिक अगली रणनीति क्या होगी अब यह सुप्रीम कोर्ट के रुख पर ही निर्भर करेगा। सरकार की ओर से किसान संगठनों को जो प्रस्ताव दिया गया है, उससे अधिक कुछ करने की कोई योजना नहीं है।

मलिक मामले में संवदेनशील नहीं
सरकार राज्यपाल मलिक को तवज्जो देने के मूड में नहीं है। सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक इस पूरे मामले में मलिक अपनी अंगुली कटा कर शहीद बनना चाहते हैं। सरकार उन्हें शहीद होने का मौका नहीं देना चाहती। उक्त मंत्री ने कहा कि आंदोलन के शुरुआती दौर में पूरे परिदृश्य से बाहर रहने वाले मलिक का अचानक हमलावर होना बताता है कि वह सियासी रूप से शहीद होना चाहते हैं। अगर ऐसा नहीं है तो उन्हें शुरुआती दौर में ही अपनी भूमिका निभानी चाहिए थी।


शेयर करें