रक्षा प्रदर्शनी:  गुणता आश्वासन नियंत्रणालय (यंत्र), रायपुर, देहरादून ने रक्षा यन्त्रों की तीन दिवसीय सार्वजनिक प्रदर्शनी का किया आयोजन

देहरादून। भारत की आजादी के 75 साल के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए भारत सरकार द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रक्षा रहा है। इसके अन्तर्गत गुणता आश्वासन महानिदेशालय (DGOA) संगठन मंत्रालय भारत सरकार पुरे देश में अनेक स्थानों में रक्षा यन्त्रों की सार्वजनिक प्रदर्शनी का आयोजन कर रहा है। इसी कड़ी में गुणता आश्वासन नियंत्रणालय (यंत्र), रायपुर, देहरादून ने भी रक्षा यन्त्रों की तीन दिवसीय सार्वजनिक प्रदर्शनी का आयोजन किया है। रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भर भारत’ द्वारा प्रयोग होने वाले आप्टीकल, आप्टो इलेक्ट्रानिक्स, लेजर व थर्मल आधारित यन्त्रो/उपकरणों को प्रदर्शित किया तथा उनमें विज्ञान एवं तकनीकी के कारण आए बदलाव को दिखाया गया। प्रदर्शनी में OFD, OLF (कॉरपोरेट जगत से नए रूप में आए आई ओ एल की इकाई) और BEL, IRDE ने अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया जिनका परीक्षण व गुणवता की सम्पूर्ण जांच कर COA (I) संस्थान अंतिम मोहर लगाकर सेना को समर्पित करता है। संस्थान के नियंत्रक ब्रिगेडियर विभोर शर्मा ने अपने उद्घाटन भाषण में बताया कि “गुणता आश्वासन महानिदेशालय” संगठन सेना में प्रयोग होने वाले सभी आयुद्धों, हथियारों, उपकरणों की गुणवत्ता, विश्वसनियता, कार्य क्षमता आदि को गुणता आश्वासन द्वारा सुनिश्चित करता है ताकि वे हर विपरित परिस्थिति में जैसे तापमान, बारिश, धूप, रेत, नमी /आद्रता आदि में ये रक्षा मापदण्डों में खरा उतर सकें और झटके, कम्पन जैसी परिवहन की स्थिति को आसानी से झेल सकें। इसके लिए सभी यन्त्रो/उपकरणों को NABL द्वारा प्रमाणित लैब में कृत्रिम रूप से परिस्थिति तैयार कर सम्पूर्ण जांच की जाती है। इसके अलावा सशस्त्र सेनाओं द्वारा प्रयोग किए जाने वाले सभी यन्त्रों व उपकरणों का मूल्यांकन कर उनके सम्पूर्ण मुहरबन्द विवरणों (SEALED PARTICULARS) को तैयार कर उनका रख-रखाव तथा मांग पत्रों के अनुसार उनकी प्रमाणित प्रतियों की आपूर्ति करना तथा उपकरणों व रक्षा यत्रों का मानकीकरण व संहिताकरण की कार्यवाही कर, उनसे संबधित Joint Service Specification (JSS)/Joint Services Guide (JSG) व अन्य दस्तावेज तैयार कर आयुद्ध डिपो निर्माता व उपयोगकर्ता को तकनीकी मार्गदर्शन का कार्य करता है। गु० आ०नि ने ही भारत के पहले उपग्रह आर्य भट्ट की कार्य क्षमता और विश्वसनीयता की जांच की थी।
प्रदर्शनी में दुश्मनों पर पैनी नजर रखने वाले यन्त्रों जैसे बाइनोकुलर, मोनो कुलर, टेलीस्कोप, पेरिस्कोप, रेज फाइंडर, हैड लाइट, सर्च लाइट, टैंकों में प्रयोग होने वाले कमांडर, गनर व ड्राइवर की दिन व रात में प्रयोग होने वाली साइटों की प्रदर्शनी का आयोजन था। जिनको स्कूलों व इंजीनियरिंग के 500 से अधिक छात्रों, आम दर्शकों व परिवारजनो ने बड़ी उत्सुकता से देखा व उनके कार्यों के बारे में जानकारी लेकर अपनी जिज्ञासा का समाधान पाया। CQA(I) की विकास यात्रा Inspectorate of Scientific Stores, Rawalpindi से 1939 में प्रारम्भ होकर कई संगठनात्मक व स्थानीय परिवर्तन होते हुए Kolkata, जबलपुर, दिल्ली कैंट होते हुए 1946 में Chief Inspectorate of Signal Stores (वर्तमान में IRDE) के नाम से Dehradun में स्थानान्तरित हुई।
1961 में IRDE आर एण्ड डी कार्यों से अलग कर इसे Chief Inspectorate of Instrument बनाकर निरीक्षण व AHSP के कार्यों के लिए अलग कर दिया। 1971 में यह Controllerate of Inspection (Instrument), CII बना तथा 1987 में अपने कार्यों के अनुरूप इस संस्थान का नाम “गुणता आश्वासन नियन्त्रणालय (यन्त्र) ” , CQA (I) बरकरार है।


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