वन विभाग की हिरासत में मौत से बवाल, परिजनों ने 48 घंटे बाद भी शव लेने से किया इनकार

नागौर/गच्छीपुरा/मौलासर। वन विभाग की हिरासत में मौत के मामले में शुक्रवार को तीसरे दिन भी बवाल मचा रहा। परिजनों ने मृतक का शव नहीं लिया। ग्रामीण सरनावड़ा गांव में परिजनों के साथ धरना देकर बैठे रहे। धरने में मेड़ता विधायक इंदिरा देवी बावरी भी पहुंची। इधर, मृतक का न्यायिक अधिकारी की निगरानी में तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड ने पोस्टमार्टम किया।
धरने पर बैठे ग्रामीणों ने परिजनों को 50 लाख रुपए मुआवजा, हिरासत में लिए हुए सभी लोगों की रिहाई, वन विभाग के दोषी कर्मचारियों का निलंबन किए जाने की मांग रखी। विधायक बावरी ने धरने में चेतावनी दी कि मृतक भंवरलाल के परिवार को न्याय नहीं मिलने तक धरने पर रहेंगे। इस दौरान महिलाओं ने भी पुलिस पर परेशान करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पुलिस का मनमर्जी से घरों में घुसना हर हाल में रुकना चाहिए। तब विधायक ने कहा कि इस मामले में पुलिस के उच्चाधिकारियों से बात की जाएगी।

यह है मामला
बुधवार को सरनावड़ा गांव से हिरन शिकार के मामले में वन विभाग के कर्मचारियों ने रामनिवास, हाथराम व भंवरलाल को पकड़ा था। जिनमें से भंवरलाल की हिरासत में मौत हो गई। मृतक का शव मौलासर चिकित्सालय की मोर्चरी में रखवाया गया। बाद में परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया। परिजनों का आरोप था कि मारपीट कर हत्या की गई है। इस मामले में गुरुवार रात आधा दर्जन वनकर्मियों के खिलाफ गच्छीपुरा थाने में मामला दर्ज किया गया।

डंटे रहे अधिकारी
मामला बढ़ता देख डेगाना डिप्टी नंदलाल सैनी, मकराना उपखण्ड अधिकारी जे.पी. बैरवा, डेगाना सीआई नरेन्द्र जाखड़, गच्छीपुरा थानाधिकारी अमरचन्द, पादु सुमन चौधरी, थांवला हीरालाल, गच्छीपुरा नायब तहसीलदार जुगलसिंह सहित बड़ी संख्या में पुलिस जाब्ता तैनात रहा।

कलक्टर-एसपी ने लिया नर्सरी का जायजा
मामले में जिला कलक्टर पीयूष समारिया, पुलिस अधीक्षक राममूर्ति जोशी दोपहर बाद मौलासर पहुंचे। दोनों अधिकारियों ने यहां नर्सरी पहुंचकर जायजा लिया। क्षेत्रीय वन अधिकारी अर्जुनराम व सहायक वनपाल झाबरमल से जानकारी ली। इस दौरान डीडवाना एसडीएम कार्तिकेय मीणा भी मौजूद रहे।

दो दिन से धरना प्रदर्शन चल था। कई बार परिजनों से बात की, लेकिन कुछ मांगों पर सहमति नहीं बनी।
नंदलाल सैनी, पुलिस उपअधीक्षक, डेगाना


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