विकास प्राधिकरण को स्थगित करने के बजाए निरस्त करने की मांग की

बागेश्वर। जिला विकास प्राधिकारण हटाओ मोर्चा की यहां आयोजित बैठक में प्राधिकरण को स्थगित करने के बजाए निरस्त करने की मांग की गई। वक्ताओं ने कहा कि अब सरकार भी मानने लगी कि उन्होंने पहाड़ों में जो प्राधिकरण थोपा है वह त्रुटिपूर्ण था, इसलिए सरकार ने इसे स्थगित करने का निर्णय लिया है। तहसील मार्ग स्थित एक बैंक्ट हॉल में रविवार को आयोजित बैठक में मोर्चा अध्यक्ष प्रमोद मेहता ने कहा कि पहाड़ों में प्राधिकरण की कतई जरूरत नहीं है। मोर्चा इसका लगातार विरोध करता आ रहा है और आगे भी करता रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार भी अब मानने लगी कि उन्होंने प्राधिकरण लागू कर गलती की है। उन्होंने इसे स्थगित करने के बजाए निरस्त करने की मांग की। वक्ताओं ने कहा कि नगर तथा आसपास क्षेत्र में महायोजना 2011 लागू की गई। महायोजना 2031 को भी निरस्त करना चाहिए। लोग अपनी खरीदी भूमि में ही भवन नहीं बना पा रहे हैं। निर्माण करने पर वाद दायर किए जा रहे हैं। इस कारण लोगों का मानसिक उत्पीडऩ हो रहा है। लंबित वादों को भी तत्काल वापस लिया जाए। प्राधिकरण व महायोजना के कारण जिले में दो लोगों ने आत्महत्या तक की। मोर्चा ने दोनों परिवार के लोगों को मुआवजा देने की मांग की है। बैठक में तय किया गया कि सोमवार को इस आशय का ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा जाएगा। इस मौके पर पंकज पांडेय, रमेश पांडेय कृषक, अलोक साह गंगोला, भुवन चौबे, माधो सिंह, जगदीश चंद्र पाठक, राजू उपाध्याय, प्रकाश सिंह, दर्वान सिंह हरडिय़ा, निर्मल लोहनी, उमेश भट्ट, महिपाल सिंह आदि मौजूद रहे।


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