वर्ष 2017 से दुर्गम सेवा का लाभ देने से शिक्षक नाराज

देहरादून(आरएनएस)। शिक्षा विभाग ने सात हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित स्कूलों के शिक्षकों की एक साल की सेवा को दो साल की दुर्गम की सेवा के रूप में जोड़ना शुरू कर दिया। विभागीय एजुकेशन पोर्टल पर सभी शिक्षकों की सेवा अवधि के अनुसार रिकार्ड को नए सिरे से संशोधित किया जा रहा है। सात हजार फीट से नीचे के दुर्गम स्कूल में सेवा करने वाले शिक्षकों को एक साल के स्थान पर सवा साल का लाभ मिल रहा है। पर, शिक्षकों को एक बड़ा वर्ग इससे नाराज भी है। दरअसल, विभाग ने सेवाओं की गणना ऐक्ट लागू होने के वर्ष 2017-18 से दुर्गम की सेवाओं को जोड़ना शुरू किया है। राजकीय शिक्षक संघ के हरिद्वार के जिला मंत्री रविंद्र रोड़ का कहना है कि यह शिक्षकों के साथ नाइंसाफी है। विभागों में हजारों ने शिक्षकों ने वर्षो तक दुर्गम और अतिदुर्गम क्षेत्रों में सेवाएं दी है। पूर्व में विभागीय तबादला नीति में भी दुर्गम की सेवाओं पर अतिरिक्त अंक देने का प्रावधान था। पर, नई व्यवस्था में केवल वर्ष 2017 से बाद की सेवाओं को ही लिया जा रहा है। इससे शिक्षकों को मजबूर होकर दोबारा से कोर्ट की शरण लेनी होगी। राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने कहा कि वर्ष 2017 को कट ऑफ नहीं बनाया जाना चाहिए। इससे तो बड़ी संख्या में शिक्षक लाभ के दायरे से बाहर हो जाएंगे। उन्हें उनकी पुरानी सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा। विभाग को इस पहलू पर पुनर्विचार करते हुए निर्णय करना चाहिए। यदि शिक्षकों के हितों की अनदेखी हुई तो संघ शांत नहीं बैठेगा।