
नई टिहरी(आरएनएस)। भिलंगना-बालगंगा नदियों के संगम मुनितीर्थ गणेश प्रयाग में गणेश मंदिर और मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए आयोजित तीन दिवसीय अनुष्ठान का यज्ञ हवन के साथ विधिवत समापन हो गया। इस मौके पर पुजारी और पंडितों ने मंत्रोच्चार के साथ मंदिर और गणेश मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की। शनिवार को घनसाली के संगम मुनितीर्थ गणेश प्रयाग में हरिद्वार से संगमरमर से निर्मित ढाई कुंतल की भगवान गणेश की भव्य मूर्ति को गंगा-हिमालय जनजागृति समिति के सदस्यों ने क्षेत्र में भ्रमण कराया। इसके उपरांत संगम पर स्नान के बाद बाद तीन दिवसीय अनुष्ठान किया गया।। समिति के सचिव व धर्माधिकारी वीरेंद्र सेमवाल ने कहा कि, टिहरी बांध बनने के बाद पुरानी टिहरी में भिलंगना-भागीरथी के संगम स्थल को गणेश प्रयाग के रूप में जाना जाता था, लेकिन उसके जलमग्न हो जाने के बाद भिलंगना-बालगंगा के संगम को गणेश प्रयाग के रूप में विकसित किया जा रहा है। जहां पर स्थानीय लोगों के सहयोग से भव्य गणेश मंदिर का निर्माण कर उसमें मूर्ति स्थापना की गई। उन्होंने कहा कि, इस स्थल पर लोग विभिन्न पर्वों पर पवित्र स्नान के साथ ही अस्थि विसर्जन कर सकेंगे। साथ ही भगवान गणेश के दर्शन व पूजा अर्चना कर सकेंगे। कार्यक्रम में पहुंची महिलाओं व पुरुषों ने सामूहिक भोज कर गणेश भगवान का आशीर्वाद लिया। मौके पर समिति अध्यक्ष धर्म सिंह बिष्ट, पुजारी योगेश्वर प्रसाद मैठाणी, उम्मेंद सिंह चौहान, केदार सिंह रौतेला, रोशन लाल जोशी, गोविंद बडोनी, राजेन्द्र सिंह पंवार, मुरारीलाल गैरोला, हुकम सिंह रावत, चंदन सिंह पोखरियाल, आनंद प्रसाद व्यास, शैलेन्द्र रतूड़ी, गुलजारी नेगी, वीरेंद्र सिंह नेगी आदि मौजूद रहे।