मोदी 2.0 उपलब्धियों के साथ बढ़ी चुनौतियां

कोरोना की दूसरी लहर लाई ब्रांड मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती

पुडुचेरी के अलावा किसी नई जगह नहीं मिली पार्टी को सफलता

गंवानी पड़ी झारखंड-महाराष्ट्र की सत्ता

तीन सहयोगी गंवाए इतने ही नए सहयोगी पाए

तीन में से दो एजेंडे पूरा करने में रही सफल

नई दिल्ली (आरएनएस)। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दो वर्ष उपलब्धियों के साथ चुनौतियों से भरा रहा। इन दो सालोंं में उपलब्धियों के रूप ने तीन अहम एजेंडों में से दो राम मंदिर और अनुच्छेद 370 के लक्ष्य को भेदने में सफल रही। हालांकि बीते कार्यकाल की तरह सरकार और भाजपा राजनीतिक मोर्चे पर सफलता के झंडे नहीं गाड़ पाई। कोरोना की दूसरी लहर ने ताकतवर ब्रांड मोदी के सामने अब तक की सबसे बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।
दूसरे कार्यकाल का पहला साल दूसरे साल के मुकाबले बेहतर रहा। पहले ही साल पार्टी जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने में सफल रही। पहले ही साल अयोध्या विवाद का फैसला राम मंदिर के पक्ष में आया। इसके कारण संघ और भाजपा-जनसंघ के अहम तीसरे एजेंडे समान नागरिक संहिता के पक्ष में देशव्यापी माहौल बना। तमाम विरोधों के बावजूद सरकार नागरिकता संशोधन बिल को कानूनी जामा पहनाने में सफल रही।

तीन सहयोगी और दो सरकारें खोई
दो साल में भाजपा को तीन सहयोगियों और दो राज्यों में सरकारें खोनी पड़ी। शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल के बाद बोडोलैंड पीपुल्स पार्टी राजग से अलग हो गई। हालांकि इसी दौरान भाजपा को जेजेपी, एआईएनआर कांग्रेस और यूपीपीएल के रूप में तीन नए सहयोगी मिले। पार्टी को झारखंड और महाराष्ट्र की सत्ता गंवानी पड़ी। जबकि हरियाणा की सत्ता बचाने के लिए जेजेपी का सहयोग लेना पड़ा।

तीन राज्यों में बची सत्ता एक नए राज्य में मौका
दो सालों में पार्टी असम, बिहार और हरियाणा में सत्ता बचाने में कामयाब रही। दो सालों में पार्टी को महज एक राज्य पुडुचेरी में सहयोगी एआईएनआर की बदौलत कमल खिलाने का मौका मिला। पार्टी पूर्वोत्तर का दुर्ग कहे जाने वाले असम में दोबारा सत्ता में लौटी। बिहार में बमुश्किल सरकार बना पाई। तमाम प्रयासों के बावजूद पार्टी पश्चिम बंगाल में सत्ता हासिल करने का सपना पूरा नहीं कर पाई। केरल और तमिलनाडु में बड़ी ताकत बनने का भी पार्टी का सपना पूरा नहीं हुआ।

चुनावी हार के बाद दो राज्यों में सत्ता
दो साल के कार्यकाल में पार्टी को कांग्रेस में असंतोष का लाभ मिला। विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी मध्य प्रदेश और कर्नाटक में सरकार बनाने में कामयाब रही। दोनों ही राज्यों में पार्टी को कांग्रेस विधायकों में पड़ी फूट का लाभ मिला।

ब्रांड मोदी की अग्निपरीक्षा
बीते सात सालों में पहली बार भाजपा और सरकार को ब्रांड मोदी की चिंता है। इससे पहले नोटबंदी और जीएसटी के कारण भी ब्रांड मोदी के सामने चुनौती दिखी थी। हालांकि कोरोना की दूसरी लहर से उपजी चुनौती बेहद बड़ी है। पार्टी और सरकार कोरोना की दूसरी लहर में जानमाल के व्यापक नुकसान के साथ दवा, बेड, इलाज और ऑक्सीजन के अभाव में हुई मौतों से उपजी नाराजगी को दूर करने की कोशिशोंं में जुटे हैं।

टीकाकरण और डैमेज कंट्रोल की योजना
पार्टी के रणनीतिकारों को ब्रांड मोदी पर आए संकट के खत्म हो जाने की उम्मीद है। रणनीतिकारों का मानना है कि साल के अंत तक सौ करोड़ से अधिक लोगों का टीकाकरण हो जाने के बाद स्थिति में बदलाव आएगा। इसके अलावा कोरोना की दूसरी लहर खत्म होने के बाद सरकार कई अहम योजना लागू करने पर विचार कर रही है। पार्टी स्तर पर नेताओं-कार्यकर्ताओं को जमीन पर उतर कर लोगों से सीधा संपर्क करने का निर्देश दिया गया है।

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