खतौनी की नकल से 12 साल में तहसील में जमा हुए ढाई करोड़

देहरादून। तहसील में खतौनी की नकल निकालने के लिए बीते 12 साल में लोगों ने 2.51 करोड़ रुपये जमा कर दिए। एलएलबी छात्र व प्रशिक्षु अधिवक्ता आशिक की सूचना पर तहसील प्रशासन ने यह सूचना दी है। उन्होंने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत तहसील से इसे लेकर सूचना मांगी थी। वर्तमान में खतौनी की नकल (फरद) निकलवाने के लिए प्रथम पृष्ठ के 20 रुपये और इससे अधिक पेज होने पर पांच रुपये प्रति पेज देना होता है। अधिकांश मामलों में खतौनी दो या तीन पेज से ज्यादा नहीं होती है। ऐसे में एक नकल से औसतन तीस रुपये जमा होते हैं। 12 साल में ढाई करोड़ रुपये जमा होने का मतलब यहां बड़ी संख्या में लोगों ने खतौनी की नकल निकाली। यह रकम वित्तीय वर्ष 2010-2011 से लेकर साल 2022 तक जमा हुई। उन्होंने यह शुल्क लिए जाने को लेकर जारी शासनादेश भी मांगा। तहसील की तरफ से रिकार्ड में नहीं होने की बात कहते इसका जवाब नहीं दिया गया। तहसीलदार एसएस रांगड़ ने बताया कि खतौनी की नकल निकलवाने पर जमा होने वाले शुल्क को सदर नाजिर सरकारी कोष में जमा कराते हैं।


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