आईआईटी शोधकर्ताओं ने कैंसर डिटेक्टर किया विकसित

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रुड़की। आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं की टीम ने श्वांस आधारित कैंसर डिटेक्टर (बीएलओ डिटेक्टर) विकसित करने का दावा किया है जो उपकरण के जरिए स्तन, फेफड़े और मुंह के कैंसर की उपस्थिति का पता लगाने में सक्षम है। प्रो. इंद्रनील लाहिड़ी, प्रो. पार्था रॉय, प्रो. देब्रुपा लाहिड़ी और उनके समूहों के शोधकर्ताओं ने यह उपकरण विकसित किया है। टाटा स्टील के साथ इस प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर हस्ताक्षर किए हैं। उपाध्यक्ष प्रौद्योगिकी और नई सामग्री व्यवसाय टाटा स्टील डॉ. देबाशीष भट्टाचार्जी, न्यू मेटेरियल्स बिजनेस फॉर इवेंट किंग्शुक पोद्दार भी शामिल थे। शोधकर्ताओं का कहना है कि बीएलओ डिटेक्टर आबादी के एक बड़े हिस्से की जांच के लिए महत्वपूर्ण होगा, जो इन तीन प्रकार के कैंसर में से किसी के लिए अतिसंवेदनशील हैं। डिवाइस का प्रारंभिक परीक्षण किया गया है। जिसकी संवेदनशीलता और विशिष्टता क्रमशः 96.11 प्रतिशत और 94.67 प्रतिशत है। आईआईटी के कार्यवाहक निदेशक प्रो. एमएल शर्मा डीन प्रायोजित अनुसंधान और औद्योगिक परामर्श प्रो. अक्षय द्विवेदी, एसोसिएट डीन इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन प्रो. रजत अग्रवाल, आईआईटी रुड़की के एसोसिएट डीन कॉर्पोरेट इंटरेक्शन प्रो. साई रामुडु मेका ने रिसर्च टीम लीडर्स के साथ कार्यक्रम में शिरकत की। प्रमुख शोधकर्ता प्रो. इंद्रनील लाहिडी ने कहा यह एक त्वरित, आसान, पॉकेट-फ्रेंडली कैंसर स्क्रीनिंग डिवाइस है। एक व्यक्ति को सिर्फ इस उपकरण में फूंकने की जरूरत है। परीक्षण के तुरंत बाद, व्यक्ति किसी दिए गए रंग कोड के साथ के इसका मिलान कर सकता है। स्तन, फेफड़े और मुंह के कैंसर होने की संभावना को समझ सकता है। कार्यवाहक निदेशक प्रो. शर्मा ने कहा कि जितनी जल्द कैंसर का पता चल जाता है, पूरी तरह ठीक होने की संभावना उतनी ही अधिक होती है। दुनिया में कैंसर का पता लगाना महंगा होता जा रहा है। डॉ. देबाशीष भट्टाचार्जी ने कहा टाटा स्टील लगातार नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए निरंतर सुधार की दिशा में काम कर रहा है।

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