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  • संक्रमित को छूने या संपर्क में आने से नहीं फैलता ब्लैक फंगस : डॉ. जेठानी
  • देहरादून

संक्रमित को छूने या संपर्क में आने से नहीं फैलता ब्लैक फंगस : डॉ. जेठानी

RNS INDIA NEWS 25/05/2021
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डोईवाला। ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) को भी लोग कोरोना महामारी की ही तरह देखने लगे हैं। हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसएल जेठानी ने कहा कि ब्लैक फंगस के केस भले ही बढ़ रहे हों, लेकिन घबराएं नहीं। यह रोगी को छूने या उसके संपर्क में आने से नहीं फैलता है। डॉ. एसएल जेठानी ने बताया कि ब्लैक फंगस संक्रमण आमतौर पर कम ही देखने को मिलता है। वर्तमान में कोरोना के कारण इसके मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। यह बीमारी मुख्यत: शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करती है। इसमें मुख्यत: नाक एवं साइनेसस, आंख, फेफड़े, आंतें एवं त्वचा है। ब्लैक फंगस से उन मरीजों को खतरा ज्यादा है, जिनकी प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कम होती है। डायबिटीज, अंग प्रत्यारोपण, कैंसर रोगी व जो लंबे समय से किसी बीमारी से ग्रसित लोगों की इम्यूनिटी कम होती है। ऐसे लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।

तीन चरण में किया जाता है उपचार: डॉ. एसएल जेठानी ने बताया कि इसका इलाज मुख्यत: तीन भागों में किया जाता है। बीमारी निश्चित होने पर मरीज के शुगर को कंट्रोल किया जाता है। मरीज को एंटीफंगल दवा दी जाती है एवं इसके साथ ही मरीज का ऑपरेशन भी किया जाता है। हर मरीज के इलाज में इन तीनों चीजों का समन्वय करना अतिआवश्यक है, तभी मरीज को इस बिमारी से निजात दिलाई जा सकती है।

ऐसे होती है ब्लैक फंगस की जांच: डॉ. जेठानी ने बताया कि लक्षण आने पर मरीज को तुरंत अस्पताल जाकर जांच करवानी चाहिए। इसमें डॉक्टर नाक की दूरबीन विधि से जांच करते हैं। नाक से सड़ा हुआ काला पदार्थ का हिस्सा जांच के लिए भेजा जाता है। करीब 4 से 6 घंटे में इसकी जांच हो जाती है। अगर जांच में ब्लैक फंगस की पुष्टि होती है तो इसके बाद यह जानने के लिए कि यह बीमारी मरीज की आंख एवं दिमाग में तो नहीं फैल गई है। जरुरत के मुताबिक मरीज का सीटी स्कैन या एमआरआई करवाया जाता है। मरीज की बीमारी का पता चलने के बाद उसका तुरंत उपचार शुरू कर दिया जाता है।

हिमालयन अस्पताल में चिकित्सकों की संयुक्त टीम गठित: मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.एसएल जेठानी ने बताया कि बीमारी के उपचार के लिए हिमालयन हॉस्पिटल में चिकित्सकों की एक संयुक्त टीम का गठन किया गया है। इस टीम में मुख्यत: नाक, कान एवं गला विशेषज्ञ, नेत्र विशेषज्ञ, मेडिसिन विशेषज्ञ, न्यूरो विशेषज्ञ एवं छाती रोग विशेषज्ञ व माइक्रोबायोलॉजिस्ट शामिल हैं। इसके अलावा जिन कोविड रोगियों को ब्लैक फंगस भी है, उनके लिए अलग से ऑपरेशन थियेटर तैयार किया गया है। ब्लैक फंगस से संबंधित सभी जाचों के लिए हॉस्पिटल की लैबोरेट्ररी में सभी तरह की जांच सुविधाएं उपलब्ध हैं।

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