प्राचीन शिव मंदिर, अशोक शिलालेख और अश्वमेध स्थल को संवारने की कवायद तेज

इन स्थलों के पास आधारभूत सुविधाओं के विकास को करीब 7करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार

विकासनगर। केंद्रीय संरक्षित स्मारक जौनसार के प्राचीन शिव मंदिर लाखामंडल, अशोक शिलालेख कालसी और पछवादून के बाड़वाला स्थित अश्वमेध स्थल को संवारने की कवायद तेज हो गई। इन स्थलों के पास आधारभूत सुविधाओं के विकास को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और राज्य पर्यटन मंत्रालय ने मिलकर करीब सात करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया है। यहां प्रस्तावित कार्य होने से देश-विदेश के पर्यटकों को संरक्षित स्मारकों की महत्ता के बारे में आसानी से जानकारी मिल सकेगी। पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारकों के विकास को रोडमैप तैयार कर लिया है। सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से हुआ तो आने वाले समय में जौनसार और पछवादून क्षेत्र के तीन ऐतिहासिक महत्व के संरक्षित स्मारकों का कायाकल्प होगा। पछवादून के बाड़वाला स्थित अश्वमेघ स्थल को विश्व संरक्षित यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल करने का प्रयास पूर्व से चल रहा है। केंद्रीय संरक्षित इस स्मारक को संवारने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और राज्य पर्यटन विभाग ने संयुक्त रूप से कवायद भी शुरू कर दी है। वहीं, जौनसार के पांडव कालीन महत्व के प्राचीन शिव मंदिर लाखामंडल और अशोक शिलालेख कालसी के पास आधारभूत सुविधाएं जुटाने को रोडमैप भी तैयार कर लिया गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग देहरादून मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. आरके पटेल ने कहा कि पुरातत्व विभाग ने राज्य पर्यटन विभाग के सहयोग से अश्वमेघ स्थल व अशोक शिलालेख को जोडऩे वाले मार्ग को ड्रेनेज सिस्टम से बनाने, सडक़ सुधारीकरण, पर्यटकों को बैठने के लिए सुविधाजनक बेंच, रेन शेड, शौचालय, पेयजल की व्यवस्था करने, संरक्षित स्मारकों के सौंदर्यकरण और देश-विदेश के सैलानियों की सुविधा को इंटरप्रिटेशन सेंटर (व्याख्या केंद्र) बनाने के अलावा अन्य पर्यटन विकास के कार्य प्रस्तावित है। जगतग्राम व कालसी में होने वाले पर्यटन विकास कार्यों के लिए साढऩे तीन करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसी तरह प्राचीन शिव मंदिर लाखामंडल में विकास कार्य के लिए करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाया गया है। इन तीनों संरक्षित स्मारकों के पास आधारभूत सुविधाओं के विकास को पुरातत्व और राज्य पर्यटन विभाग मिलकर कार्य करेंगे। योजना के तहत संरक्षित स्मारकों के सौ मीटर के भीतर पुरातत्व विभाग और इसकी परिधि के बाहर राज्य पर्यटन विभाग प्रस्तावित कार्यों को पूर्ण करेगा। अधीक्षण पुरातत्वविद ने कहा कि इन संरक्षित स्मारकों के पास सैलानियों की सुविधा को आधारभूत सुविधाएं जुटाने के लिए प्रयास जारी है। वर्तमान में सुविधाओं की कमी से यहां पर्यटकों को परेशानी झेलनी पड़ती है। संरक्षित स्मारकों की प्राचीन महत्ता से सैलानियों को अवगत कराने के लिए तीनों जगह इंटरप्रिटेशन सेंटर बनाए जाएंगे। कहा कि पर्यटन मंत्रालय के निर्देशन में संरक्षित स्थलों के पास होने वाले पर्यटन विकास कार्य जल्द शुरू कराए जाएंगे। यहां करीब सात करोड़ की लागत से होने वाले पर्यटन विकास कार्यों से सैलानियों को सुविधा मिलेगी, जिससे पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी ही साथ ही पर्यटन विकास को गति मिलेगी।

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