अब हवाई जहाज और समुद्र में भी मिलेंगी बीएसएनएल की सेवाएं, कनेक्टिविटी के लिए मिला लाइसेंस

नई दिल्ली। हवाई जहाज में सफर करने वाले लोगों को इंटरनेट मुहैया कराने के लिए भारत संचार निगम लिमिटेड को लाइसेंस मिल गया है। यही नहीं बीएसएनएल समुद्र में चलने वाले जहाजों के यात्रियों को भी कनेक्ट करवाएगी। खास बात ये है कि कंपनी न केवल समुद्र और आकाश में, बल्कि वैश्विक स्तर पर कनेक्टिविटी भी दे पाएगी। रणनीतिक साझेदार और वैश्विक मोबाइल उपग्रह संचार खिलाड़ी इनमारसैट ने पुष्टि की कि टेल्को को भारत में इनमारसैट की ग्लोबल एक्सप्रेस मोबाइल ब्रॉडबैंड सेवाएं देने के लिए आवश्यक लाइसेंस प्राप्त हुआ है। इनफ्लाइट एंड मैरीटाइम कनेक्टिविटी लाइसेंस के तहत त्रङ्ग सरकार, विमानन और समुद्री क्षेत्र में भारतीय ग्राहकों के लिए उपलब्ध होगा। इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी के लिए त्रङ्ग तैनात करने वाली उड़ानों के साथ-साथ, भारत की वाणिज्यिक समुद्री कंपनियां भी प्रभावी जहाज संचालन और चालक दल कल्याण सेवाओं के लिए अपने जहाजों के डिजिटलीकरण को बढ़ाने में सक्षम होंगी। बीएसएनएल का लाइसेंस यह भी सुनिश्चित करेगा कि त्रङ्ग सेवा सरकार के साथ-साथ अन्य उपयोगकर्ताओं को भी दी जाए। ग्राहकों और भागीदारों के लिए सेवाओं की चरणबद्ध शुरुआत होगी।
बीएसएनएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, पीके पुरवार ने कहा कि ग्लोबल एक्सप्रेस को सरकार और मोबिलिटी बिजनेस ग्राहकों के लिए दुनिया की सबसे अच्छी हाई-स्पीड सैटेलाइट संचार सेवा के रूप में मान्यता प्राप्त है और हम भारत में उपयोगकर्ताओं के लिए इन क्षमताओं को उपलब्ध कराकर बहुत खुश हैं।
इनमारसैट के सीईओ राजीव सूरी ने कहा कि वे भारत के लिए प्रतिबद्ध हैं और हाल के विकास से उन्हें आगे की आर्थिक वृद्धि को कम करने में मदद मिलेगी जो वे भारत में देखना चाहते हैं। वहीं, स्पाइसजेट के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने कहा कि जब हम अपना नया बोइंग 737 मैक्स विमान पेश करेंगे, तो उम्मीद करते हैं कि यात्रियों को इस अभूतपूर्व कनेक्टिविटी सेवा दे पाएंगे।
गौरतलब है कि यूपी के गाजियाबाद में स्थित, त्रङ्ग केए-बैंड में संचालित होता है और यह एक हाई स्पीड ब्रॉडबैंड नेटवर्क है, जिसे गतिशीलता और सरकारी ग्राहकों के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह सेवा हाई बैंडविड्थ, विश्वसनीयता और सुरक्षा प्रदान करती है जो कमर्शियल और सरकारी-ग्रेड मोबिलिटी ग्राहकों की डिमांड है। कंपनी अगले तीन वर्षों में सात त्र्रं उपग्रहों को और लॉन्च कर रही है।


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