अब भटकती आत्‍मायें भी चैन से रहेंगी, कातिल होंगे सलाखों के पीछे

अब भटकती आत्‍मायें भी चैन से रहेंगी, कातिल होंगे सलाखों के पीछे


 देहरादून। उत्तराखंड में ना जाने ऐसे कितने ही अज्ञात संगीन घटनाएं हैं जिनका आज तक कभी खुलासा ही नहीं हो पाया। सारी ताकत झोंकने के बावजूद पुलिस अपराधियों तक नहीं पहुंच पाई और बदमाश पुलिस को चकमा देकर अज्ञात की श्रेणियों में दर्ज हो गए। हालांकि ऐसा नहीं है कि इससे पहले भी ऐसा नहीं हुआ है। कहीं ना कहीं तमाम कोशिशों के बावजूद भी पुलिस तंत्र परिणाम तक पहुंचने मैं विफल हो जाता है।

ऐसे ही मामलों की तह तक पहुंचने के लिए एक बार फिर उत्तराखंड पुलिस पुरानी फाइलों पर लगी धूल झाड़ने जा रही है। हालांकि यह काम आसान नहीं है और इतने वर्षों में किसी एक अज्ञात मामले के साक्ष्‍य दुबारा जुटा पाना काफी चुनौतीपूर्ण काम है।
उत्तराखंड पुलिस ऐसे मामले जो लगभग 1 वर्ष से अधिक समय से लंबित पड़े हुए हैं और उन को अंजाम देने वाले बदमाश बेखौफ घूम रहे हैं ऐसे मामलों की विवेचना के लिए पुनः आदेश जारी किए गए। पुलिस विभाग में ऐसे 573 विवेचनाओं को अपनी सूची में रखा है जोकि 1 वर्ष पुरानी है और अब साक्षी ना मिलने पर धूल चढ़ चुकी है।

पुलिस मुख्यालय से जारी किए गए आदेशों में प्रदेश के सभी जनपद प्रभारियों को स्पष्ट कर दिया गया है कि वे 30 जून 2021 से 1 वर्ष की अवधि पूर्व के लंबित मामलों की रिपोर्ट 3 दिन के अंदर यानी कि 1 जुलाई तक पुलिस मुख्यालय को उपलब्ध कराएं। इन आदेशों की तामील कराने के आदेश दोनों मंडलों के डीआईजी को दिए गए हैं जोकि जनपद प्रभारियों के माध्यम से थानेदारों तक पहुंचेंगे।
स्पष्ट है कि पुलिस मुख्यालय के इस आदेश से तमाम थानेदारों व पुलिस कार्यालय में बैठे पेश कारों की रातों की नींद उड़ गई है। वही उन लोगों में न्याय की उम्मीद जगी है जो पुलिस की कार्यशैली से दुखी होकर न्याय की उम्मीद ही खो बैठे थे।


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