
आपदा में मलबे में दब गए थे आठ परिवारों के घर के चिराग
उत्तरकाशी(आरएनएस)। आपदा प्रभावित गांव धराली और छोलमी गांव में इस वर्ष दीपावली का त्योहार नहीं मनाया गया। इसके साथ ही इसके आसपास मुखबा, हर्षिल आदि गांव में भी त्योहार सादगी से मनाया गया। किसी भी गांव में पटाखे नहीं फोड़े गए। ग्रामीणों ने अपने घरों में दीये जलाकर और पूजा-पाठ के साथ पर्व सामान्य रूप से मनाया। बीते पांच अगस्त को धराली में आई आपदा में आठ परिवारों के चिराग मलबे में दब गए थे। वहां मौजूद अन्य गांव और शहरों सहित नेपाल के कई लोग भी मलबे में दबे। आपदा का असर पूरी हर्षिल घाटी में देखने को मिला। कई स्थानों पर गंगोत्री हाईवे बंद होने के कारण हर्षिल घाटी के गांवों में कुछ दिन राशन का खतरा भी मंडराया था। वहीं इस वर्ष सेब खराब होने से भी काश्तकारों को नुकसान झेलना पड़ा। आपदा का असर दिवाली के त्योहार में भी देखने को मिला। मुख्य रूप से प्रभावित धराली और इसके तोक छोलमीगांव में किसी भी घर में दीये नहीं जलाए गए। त्योहार को आपदा की कभी न भूल पाने वाली यादों ने लोगों के आंखों में आंसू ला दिए। वहीं धराली के आसपास मुखबा, हर्षिल आदि गांव में दीपावली बहुत सामान्य रूप से मनाई गई। वहां पर लोगों ने घरों पर मात्र दीये जलाने के साथ पूजा-पाठ की। किसी भी गांव में आतिशबाजियां और पटाखे नहीं जलाए गए। हर्षिल के पूर्व प्रधान दिनेश रावत ने बताया कि इस वर्ष आपदा का असर हर चीज पर देखने को मिला। लोगों को बहुत अधिक नुकसान उठाना पड़ा। इसलिए धराली में दीपावली नहीं मनाई गई तो अन्य गांव में भी लोगों ने सादगी से त्योहार मनाया।





