
अल्मोड़ा। विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा में गुरुवार को ‘कृषि संरचनाओं और पर्यावरण प्रबंधन में प्लास्टिक इंजीनियरिंग पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना’ की 21वीं वार्षिक कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। यह कार्यशाला तीन दिनों तक 30 अक्टूबर से 1 नवंबर तक चलेगी। इसका संयुक्त आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद–विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद–केन्द्रीय कटाई उपरान्त अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, लुधियाना द्वारा किया गया है। कार्यशाला के शुभारंभ में संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कान्त ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए संस्थान के इतिहास, उद्देश्यों और उपलब्धियों की जानकारी दी। मुख्य अतिथि उप महानिदेशक (अभियांत्रिकी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली डॉ. एस. एन. झा ने कहा कि इस परियोजना के अंतर्गत 14 केंद्र मिलकर अनुसंधान कार्य कर रहे हैं। तीन दिवसीय कार्यशाला में पिछले वर्ष की प्रगति की समीक्षा और आगामी वर्ष की अनुसंधान योजनाओं पर चर्चा की जाएगी। इन योजनाओं के अंतर्गत विकसित तकनीकों को परीक्षण के उपरांत कृषकों तक पहुंचाया जाएगा। सहायक महानिदेशक (प्रोसेस इंजीनियरिंग), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली डॉ. के. नरसैय्या ने अपने संबोधन में प्लास्टिक और ई-वेस्ट के जिम्मेदार निस्तारण, हाईटेक फार्मिंग और संरक्षित खेती में डेटा आधारित प्रबंधन प्रणाली विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया। इस अवसर पर परियोजना समन्वयक डॉ. राकेश शारदा ने परियोजना की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की, जबकि डॉ. नचिकेत कोतवालीवाले, डॉ. टी. बी. एस. राजपूत, डॉ. एस. पटेल और अभियंता आनंद जामब्रे सहित अन्य विशेषज्ञों ने भी अपने विचार रखे। कार्यशाला में कृषकों ने अपने अनुभव साझा किए। मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथियों ने इस अवसर पर परियोजना के अंतर्गत प्रकाशित 12 शोध प्रकाशनों का विमोचन भी किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रियंका खाती और डॉ. सन्थिया एस. ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन कार्यशाला के आयोजक सचिव डॉ. उत्कर्ष कुमार ने प्रस्तुत किया।





