उत्तराखंड मातृभाषा उत्सव में प्रदेश के सभी जिलों से छात्र-छात्राओं ने दिखाया हुनर

शिक्षा मंत्री डॉ. रावत ने डिजिटल माध्यम से किया मातृभाषा उत्सव का शुभारंभ

देहरादून। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की ओर से आयोजित उत्तराखंड मातृभाषा उत्सव में राज्य की विभिन्न बोली- भाषाओं का समागम देखने को मिला। इस मौके पर स्कूली बच्चों ने जागर, लोकगीत, लोक कथा और नाटक के जरिए अपनी प्रस्तुतियां दी।  रिंग रोड स्थित किसान भवन में आयोजित दो दिवसीय मातृभाषा उत्सव का शुभारंभ शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने डिजिटल माध्यम से किया। उन्हेांने अपने संबोधन में कहा कि यह कार्यक्रम लोकभाषाओं को जीवित और संरक्षित करने में कारगर सिद्ध होगा। इसके बाद आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के सभी जिलों से आए कक्षा तीन से आठवीं तक के छात्र- छात्राओं ने अपनी-अपनी भाषाओं में नाटक, गायन, लोककथाओं की प्रस्तुति दी। इसमें गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी, रंवाल्टी, बंगाणी, पंजाबी, नेपाली, कौरवी, मार्छा और जाड़ जैसी 17 बोली – भाषा शामिल हैं। प्राथमिक विद्यालय जयहरीखाल, पौड़ी की छात्रा चित्रा पाठक ने कुमाउंनी लोकगीत और हरिद्वार के छात्रों ने कौरवी भाषा में नाटक से सबको मंत्रमुग्ध किया। इससे पूर्व पद्माधुरी बड़थ्वाल ने विधिवत दीप प्रज्वलित कर आयोजन का शुभारंभ किया।
इस मौके पर सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रामन ने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 की मंशा के अनुरूप कक्षा तीन से आठ तक के छात्रों में मातृभाषाओं के प्रति सम्मान की भावना पैदा करना है। एससीईआरटी निदेशक सीमा जौनसारी ने कहा कि प्रदेश की विलुप्त होती भाषाओं पर जमीनी स्तर पर कार्य किये जाने की आवश्यकता है।

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