यहाँ चोर नहीं भालू तोड़ रहे बंद घरों के ताले

पिथौरागढ़(आरएनएस)। उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में गांव में रहने वाले लोगों के लिए एक हैरान करने वाली खबर है। चोरों के बाद अब लोगों को अपने घरों को जंगल के इस चोर से बचाना भी मुश्किल हो गया है। जी हां चौंकिए मत, भालू अब बंद घरों के ताले तोड़ रहे हैं।  उच्च हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाले भालू सामान्य तौर पर जड़ी-बूटी खाते हैं, लेकिन बीते एक अरसे से इन्हें नमक और चावल का स्वाद बेहद भा गया है। इसके लिए भालू बंद घरों के ताले तक तोड़ रहे हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक भालुओं के व्यवहार में ये बदलाव हाल के कुछ वर्षों में आया है। हिमालय से सटे माइग्रेशन गांव मिलम, टोला, बिल्ज्यू, बुर्फू, मर्तोली, मापा, गनघर, लास्पा, ल्वा, रालम आदि में इन दिनों भालुओं ने आतंक मचाया हुआ है। दरअसल ठंड शुरू होने के बाद इन गांवों में रहने वाले लोग घाटियों की तरफ लौट जाते हैं। ग्रामीण अगली बार प्रवास पर आने के लिए वहां कुछ अनाज सुरक्षित छोड़कर आते हैं। लेकिन उनके पहुंचने से पहले ही भालू अनाज साफ कर रहे हैं।

इस साल अब तक 30 घरों के ताले तोड़ चुके
अब तक भालू करीब 30 घरों के ताले तोड़ चुके हैं। बीते वर्ष एक भालू के सिर पर खाद्य सामग्री रखा कनस्तर भी फंस गया था। इसका वीडियो वायरल हुआ था। लोग अक्तूबर में सर्दियों की शुरुआत के साथ ही निचले इलाकों का रूख करने लगते हैं। इसके बाद मार्च तक गांव पूरी तरह वीरान रहते हैं। अप्रैल-मई में फिर लोग यहां खेती करने पहुंचते हैं। करीब छह माह की खेती से उनकी आजीविका चलती है।