ट्विन टावर का ध्वस्तीकरण सुपरटेक ही नहीं पूरी बिल्डर लॉबी के लिए सबसे बड़ा झटका

नोएडा (आरएनएस)। ट्विन टावर का ध्वस्तीकरण सुपरटेक के साथ-साथ बिल्डर लॉबी के लिए सबसे बड़ा झटका है। अभी तक किसी भी बिल्डर पर देश में इतनी बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है। यह ध्वस्तीकरण नजीर बनकर देश के इतिहास में दर्ज होने जा रहा है। अवैध निर्माण की अनेक मामलों की शिकायतें इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हैं।
एमरॉल्ड कोर्ट का निर्माण सुपरटेक लिमिटेड ने किया था। सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के अरोड़ा ने कंपनी की शुरुआत 90 के दशक में की थी। बिल्डर ने वर्ष 1995 में अपनी पहली कंपनी बनाई थी।
इसके बाद यह ग्रुप रियल स्टेट में बड़ा नाम बन गया था। आर.के अरोड़ा ने 12 शहरों में अपने प्रोजेक्ट लॉन्च किए। देश की सबसे ऊंची बिल्डिंग सुपरनोवा भी इसी ग्रुप की है, जिसकी ऊंचाई 310 मीटर और 80 मंजिल प्रस्तावित हैं और अभी तक 66 फ्लोर बन चुके हैं। रियल स्टेट के अलावा वह सुपरटेक एविएशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी भी बना चुके हैं।

सुपरटेक ऊर्जा एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी भी बनाई है। इसके साथ ही फिल्म, कंसलटेंसी, ब्रोकिंग, हाउसिंग फाइनेंस, प्रीकास्ट, पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन, रिकवरी और लैंड डेवलपमेंट के लिए भी सुपरटेक ग्रुप ने कंपनियां बनाई हैं। लेकिन इन दिनों सुपरटेक ग्रुप की मुश्किल लगातार बढ़ रही हैं। सुपरटेक के खिलाफ दिवालिया की कार्रवाई चल रही है और उसके कुछ प्रोजेक्ट पर आईआरपी नियुक्त हो चुका है। ईडी, विभिन्न राज्यों की पुलिस और ईओडब्लू, सीएफआईओ समेत अन्य जांच एजेंसियां भी बिल्डर की जांच कर रही हैं।
गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन का सबसे बड़ा बकायेदार भी सुपरटेक ग्रुप घोषित हो चुका है। उसके खिलाफ? प्राधिकरण स्तर पर भी कार्रवाई चल रही है। विभिन्न मुकदमों में ग्रुप के वरिष्ठ पदाधिकारी नामजद हैं। सुपरटेक के खिलाफ हो रही इस कार्रवाई से बिल्डर लॉबी में बेचैनी है, क्योंकि इस तरह के अवैध निर्माण के मामले अनेक अन्य सोसाइटी में हैं और उनको लेकर भी शिकायतों का दौर अब तेज हो रहा है।