शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट

चमोली। 2020 समुद्रतल से 10276 फीट की ऊंचाई पर स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट गुरुवार दोपहर बाद 3:35 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इसी के साथ हिमालय की चारधाम यात्रा ने भी विराम ले लिया। कपाट बंदी के मौके पर आठ हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान बदरी विशाल के दर्शन किए। उधर, सुभाईं गांव स्थित भविष्य बदरी धाम, वंशीनारायण मंदिर और द्वितीय केदार मध्यमेश्वर धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद हो गए। समुद्रतल से 10276 फीट की ऊंचाई पर चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ धाम में कपाट बंदी के उत्सव को यादगार बनाने के लिए मंदिर को फूलों से दुल्हन की तरह सजाया गया था। कपाट बंदी से पूर्व ब्रह्ममुहूर्त में 4:30 बजे नित्य पूजा के साथ भगवान नारायण को भोग लगाया गया। दोपहर 12.30 बजे शयन आरती व मां लक्ष्मी का पूजन शुरू हुआ। दोपहर एक बजे धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने मंदिर के कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू की। इसके तहत रावल स्त्री वेश में मां लक्ष्मी को गोद में बैठाकर उनके मंदिर से बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में लाए। फिर देश के अंतिम गांव माणा की कुंआरी कन्याओं द्वारा तैयार घृत कंबल भगवान नारायण को ओढ़ाया गया। मां लक्ष्मी के गर्भगृह में विराजमान होते ही भगवान नारायण के बालसखा उद्धवजी व देवताओं के खजांची कुबेरजी को सभामंडप होते हुए मंदिर प्रांगण में लाया गया। ठीक 3:35 बजे परंपराओं का निर्वहन करते हुए मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कपाटबंदी के मौके पर उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मुख्य कार्याधिकारी रविनाथ रमन, अपर मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, वेदपाठी सत्य प्रसाद चमोला, राधाकृष्ण उनियाल, पं.मोहित सती समेत पुजारीगण, हक-हकूकधारी व बड़ी तादाद में श्रद्धालु उपस्थित थे।

आज पांडुकेश्वर रवाना होगी उत्सव डोली: बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी की अगुआई में आज सुबह 9:30 बजे भगवान नारायण के बालसखा उद्धवजी व देवताओं के खजांची कुबेरजी की डोली और आदि शंकराचार्य की गद्दी यात्रा पांडुकेश्वर स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर के लिए रवाना होगी। उद्धवजी व कुबेरजी शीतकाल में यहीं निवास करते हैं। जबकि, रावल, धर्माधिकारी, वेदपाठी व श्रद्धालु आदि शंकराचार्य की गद्दी के साथ 21 नवंबर को जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर पहुंचेंगे। शीतकाल में यहीं गद्दी की पूजा होती है।
उधर, पंच बदरी में शामिल भविष्य बदरी धाम के कपाट भी दोपहर बाद 3:35 बजे शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। परंपरा के अनुसार भविष्य बदरी धाम के कपाट बदरीनाथ धाम के साथ ही खोले और बंद किए जाते हैं। सुबह 7 बजे बंद हुए मध्यमेश्वर धाम के कपाटपंच केदारों में शामिल द्वितीय केदार मध्यमेश्वर धाम के कपाट गुरुवार सुबह 7 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया कि बाबा मध्यमेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेगी। 20 नवंबर को डोली राकेश्वरी मंदिर रांसी, 21 नवंबर को उनियाणा, राऊलैक, बुरुवा व मनसूना होते हुए गिरिया गांव और 22 नवंबर को फाफंज, सलामी, मंगोलचारी, ब्राह्मणखोली व डंगवाड़ी होते हुए शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी।


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