संवेदनशील स्थानों पर एम्बुलेंस की तैनाती कर जान बचाने की कवायद
देहरादून। राज्य में लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए अब संवेदनशील स्थानों पर एम्बुलेंस तैनात कर जान बचाने की कवायद की जा रही है। इसकी सरकार की ओर से पूरी तैयारी की जा चुकी है।
उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मृत्यु के मामलों को देखते हुए अब घायलों को तत्काल मदद मुहैया कराने की तैयारी है। इस कड़ी में दुर्घटना संभावित स्थलों पर 108 एंबुलेंस की तैनाती की जाएगी। मकसद यह कि दुर्घटना के एक घंटे के भीतर ही घायलों को मदद देकर उनकी जान बचाई जा सके।
प्रदेश में हर साल दुर्घटनाओं का ग्राफ बढ़ रहा है। इस वर्ष अभी तक 820 से अधिक दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें 450 से अधिक व्यक्ति अकाल ही काल का ग्रास बन गए। इन जानलेवा दुर्घटनाओं में ये बात सामने आई है कि यदि समय रहते घायलों को इलाज मिल गया होता तो शायद उनकी मृत्यु नहीं होती। सड़क दुर्घटनाओं की समीक्षा में यह बात सामने आई है कि दुर्घटना से एक घंटे का समय घायल के लिए काफी अहम होता है। इसे गोल्डन आवर भी कहा जाता है। यानी किसी दुर्घटना में घायल को एक घंटे के भीतर इलाज मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है।
यही कारण है कि दुर्घटना की सूचना मिलते ही दुर्घटना स्थल पर तत्काल राहत व बचाव कार्य चलाए जाते हैं, ताकि घायलों की जान बचाई जा सके। अब इस व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ करने की तैयारी है। इसके तहत शासन ने स्वास्थ्य और पुलिस विभाग को आपसी सामंजस्य बिठाते हुए राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों पर ऐसे स्थलों की सूची बनाने को कहा है, जहां सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। यहां स्वास्थ्य विभाग आपातकालीन सेवा 108 की एंबुलेंस तैनात करेगा। मकसद यह कि दुर्घटना होने की सूरत में घायलों को प्राथमिक इलाज उपलब्ध कराते हुए एंबुलेंस के जरिये नजदीकी अस्पतालों तक भेजा जा सके।
शासन ने इस कार्य को शुरू करने के साथ ही इसका पूरा ब्योरा रखने को कहा है कि कितने घायलों को एक घंटे के भीतर अस्पतालों तक पहुंचाया गया। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग को एंबुलेंस की निगरानी के लिए इंटीग्रेटेड कमांड एवं कंट्रोल रूम भी स्थापित करने को कहा गया है। मकसद यह कि यदि किसी दुर्घटना स्थल पर एंबुलेंस उपलब्ध नहीं है तो नजदीकी एंबुलेंस को वहां भेजा जा सके।