संस्कृत शिक्षक कर्मचारी संगठन ने आउटसोर्स नियुक्ति का जताया विरोध

पौड़ी(आरएनएस)।  माध्यमिक संस्कृत शिक्षक कर्मचारी संगठन की जिला कार्यकारिणी की बैठक में कर्मचारियों ने आउटसोर्स नियुक्ति का विरोध जताया। इस दौरान संगठन के सदस्यों ने कहा कि आउटसोर्स नियुक्ति किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं है। रविवार को पौड़ी में प्रदेश अध्यक्ष अनसूया प्रसाद सुंदरियाल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में विभागीय अधिकारियों द्वारा संस्कृत विद्यालयों व महाविद्यालयों में वर्षों से अल्प मानदेय पर कार्यरत संस्कृत शिक्षकों को आउटसोर्स के माध्यम से नियुक्त करने की प्रक्रिया पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया गया। संगठन के महामंत्री विनायक भट्ट ने कहा कि आज जिन शिक्षकों की बदौलत संस्कृत विद्यालय और महाविद्यालय अस्तित्व में बचे हुए हैं, उन्हीं को आउटसोर्स से नियुक्त करने का प्रयास किया जा रहा है। यह न केवल संस्कृत शिक्षा के साथ सरासर अन्याय है, बल्कि संस्कृत शिक्षकों के साथ कुठाराघात भी है। कहा कि प्रदेश सरकार ने संस्कृत को द्वितीय राजभाषा घोषित किया है और उसके संरक्षण-संवर्धन के लिए लंबे समय से कार्यरत 155 अर्ह शिक्षकों को मानदेय दिया जा रहा है। ऐसे समय में आउटसोर्स नियुक्ति की योजना पूरी तरह से एक षड्यंत्र है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। तावनी दी कि यदि विभागीय अधिकारी अपनी जिद पर अड़े रहते हैं और जबरन यह निर्णय थोपते हैं, तो शिक्षक मजबूर होकर सड़कों पर आंदोलन करेंगे। बैठक में सभी सदस्यों ने एक स्वर से इस निर्णय का विरोध किया और सरकार से मांग की कि लंबे समय से कार्यरत संस्कृत शिक्षकों को तदर्थ नियुक्ति दी जाए, न कि आउटसोर्स के नाम पर उनका शोषण किया जाए। बैठक में जगदीश सकलानी, नवीन जुयाल, प्रवेश हेमदान, कमलदीप, अनूप कुकरेती, पारस, प्रकीर्ण आदि शामिल थे।

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