
अल्मोड़ा। अल्मोड़ा साहित्य महोत्सव 2025 के दूसरे दिन शनिवार को साहित्य, संगीत और संवाद का सुंदर संगम देखने को मिला। दिन की शुरुआत प्रसिद्ध सरोद वादक स्मित तिवारी की मधुर प्रस्तुति से हुई। उन्होंने राग जौनपुरी में अपनी रचनात्मकता का परिचय देते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद ‘सिनेमा और रंगमंच’ विषय पर आयोजित सत्र में ज़रहूर आलम, रूप दुर्गापाल और आशुतोष जोशी ने विचार साझा किए। सत्र का संचालन हेमंत बिष्ट ने किया। रूप दुर्गापाल ने फिल्म और मनोरंजन जगत में अपने अनुभवों के साथ-साथ अपने आध्यात्मिक सफर पर भी चर्चा की, जबकि ज़रहूर आलम ने नैनीताल स्थित अपने नाट्य समूह ‘युग मंच’ के साथ रंगमंचीय जीवन की भावनात्मक यात्रा साझा की। दिन का सबसे चर्चित सत्र रहा ‘मनोहर श्याम जोशी के अनेक संसार’, जो सुप्रसिद्ध लेखक मनोहर श्याम जोशी की स्मृति को समर्पित था। इसमें पुरुषोत्तम अग्रवाल, प्रभात रंजन और रंजन जोशी ने हिस्सा लिया, जबकि संचालन डॉ. दीपा गुप्ता ने किया। वक्ताओं ने जोशी के साहित्य, पत्रकारिता और टेलीविजन के योगदान पर विस्तार से चर्चा की। पुरुषोत्तम अग्रवाल ने उनके उपन्यास ‘कुरु कुरु स्वाहा’ और ‘कसप’ पर बात की, जबकि प्रभात रंजन ने जोशी की पत्रकारिता और दूरदर्शन पर उनके लोकप्रिय धारावाहिक ‘बुनियाद’ और ‘हम लोग’ का उल्लेख किया। रंजन जोशी ने उनके जीवन के संवेदनशील और स्नेहपूर्ण पक्षों को साझा किया। इसके बाद ‘प्रकृति, नारी और पर्यावरण’ विषय पर सत्र आयोजित हुआ, जिसमें अदिति शर्मा, अनुराधा पांडे और डॉ. नैनवाल शामिल रहे तथा संचालन डॉ. वसुधा पंत ने किया। वक्ताओं ने कहा कि नारी और पर्यावरण के बीच सदियों पुराना संबंध रहा है, लेकिन अब समय है कि महिलाओं को सिर्फ ‘संरक्षक’ के रूप में नहीं बल्कि परिवर्तन की सक्रिय वाहक के रूप में देखा जाए। इसी बीच बच्चों के लिए आयोजित ‘मिनी लिट फेस्ट’ में रचनात्मक ऊर्जा झलकती रही। इस खंड का संचालन वंषिका वोहरा ने किया, जबकि वनीता और वंषिका ने बच्चों को कहानी लेखन, पात्र निर्माण और कथानक की तकनीक सिखाई। वहीं दूसरे दिन आयोजित फोटो गैलरी प्रदर्शनी और फोटो वार्ताएँ दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बनी रहीं। पहले दिन पद्मश्री अनुप शाह की प्रेरणादायक वार्ता के बाद शनिवार को हिमालयी जीवन, संस्कृति और प्रकृति पर केंद्रित सत्रों का आयोजन किया गया। फोटो गैलरी प्रदर्शनी में अल्मोड़ा, नैनीताल, रानीखेत, मुक्तेश्वर सहित आसपास के फोटोग्राफरों के उत्कृष्ट चित्र प्रदर्शित किए गए। इसमें हिमालय की सांस्कृतिक, पारिस्थितिक और प्राकृतिक विविधता को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया। दिन भर चले इन सत्रों में संवाद, विचार और रचनात्मकता का अनूठा संगम देखने को मिला।