समाजसेवियों ने की गोरैया के संरक्षण की मांग

ऋषिकेश। घर-घर आंगन में चहकने वाली गोरैया अब कम ही दिखाई देती है। पूरे देश सहित उत्तराखंड में इनकी संख्या में काफी कमी के चलते समाजसेवियों ने गोरैया के संरक्षण की मांग उठानी शुरू कर दी है। रविवार को विश्व गोरैया दिवस पर मान्यता प्राप्त प्रबन्धकीय विद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार शर्मा ने गोरैया की घटती संख्या पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि किसी जमाने में कॉमिक्स, कहानी की किताबों में गौरैया के ऊपर कहानियां मिला करती थीं। लेकिन वर्तमान में यह मिलनसार पंछी देखने को कम ही मिल रहे हैं। गांव और शहर में यदि कभी कोई गौरैया दिख जाए तो बच्चे झूम उठते हैं। मानव समाज के लिए शर्म की बात है कि गोरैया अब विलुप्ति की कगार पर है। गोरैया पर्यावरण की भी परम मित्र कहलाती है। ऐसे में इसका संरक्षण मानव जाति के लिए बेहद जरूरी है। कहा कि वे अपने घर में गोरैया के लिए घोंसला बनवाकर उसका संरक्षण कर रहे हैं। इस पहल को विस्तार देने की जरूरत है। कहा कि वे इस मामले को लेकर मेयर अनिता ममगाईं से मांग करेंगे। बताया कि ब्रिटेन की रॉयल सोसाइटी ऑफ बर्ड्स द्वारा विश्व के विभिन्न देशों में किए गए अनुसंधान के आधार पर भारत और कई बड़े देशों में गोरैया को रेड लिस्ट कर दिया गया है। ऐसे में हमारा कर्तव्य है कि स्थानीय समाजसेवी संगठनों को आगे आकर गोरैया का संरक्षण करना चाहिए। उधर, समाजसेवी व पर्यावरणविद विनोद जुगलाण, जिला पंचायत सदस्य संजीव चौहान आदि ने भी विश्व गोरैया दिवस पर इनके संरक्षण की अपील की।

Powered by myUpchar

error: Share this page as it is...!!!!