सामाजिक विज्ञान में सांख्यिकी के प्रयोग नवागंतुक शोधार्थियों के लिए अहम: प्रो भीमा मनराल

शिक्षा संकाय में सामाजिक विज्ञान में सांख्यिकी के प्रयोग पर हुआ व्याख्यान

अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना परिसर के शिक्षा संकाय की डीन व विभागाध्यक्ष प्रो भीमा मनराल ने कहा कि वर्तमान समय में रिसर्च के फील्ड में नवांगतुक स्कोलरों के लिए सांख्यिकी प्रविधियों की सही जानकारी होना नितांत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि डेटा के कलैक्शन, टेबुलेशन, एनालिसिस एवं इंटरपिटेशन की सटीक जानकारी शोध प्रविधि का अहम हिस्सा है। बिना इसके ज्ञान के हम सामाजिक क्षेत्र के अनुसंधानों को पूरा नहीं कर सकते है। यह बात रविवार को एक दिवसीय रिसर्च मैथोडोलाॅजी एवं सामाजिक विज्ञान में सांख्यिकी के प्रयोग पर आयोजित अतिथि व्याख्यान को संबोधित करते हुए शिक्षा संकाय की विभागाध्यक्ष व डीन प्रो भीमा मनराल ने कही। वहीं, सहायक प्राध्यापक डाॅ रिजवाना सिद्दीकी ने कहा कि सामाजिक विज्ञान में अध्ययन का क्षेत्र विस्तृत हो गया है। समस्या का चयन, संबंधित साहित्य की समीक्षा से लेकर रिसर्च डिजाइन पूरी तरह से सिस्टमेटिक हो चुका है। इसलिए मानवीकी विषय के शोधार्थियों को सांख्यिकीय प्रविधि के चयन एवं प्रयोग में विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। अतिथि व्यख्याता के तौर पर उपस्थित सोबन सिंह जीना परिसर के गणित विभाग से अवकाश प्राप्त प्रो विनय पांडेय ने सांख्यिकी में प्रयुक्त केंद्रीय प्रवृत्ति की माप और विचलन की माप, प्रसामान्य वक्र, सहसंबंध गुणांक एवं सार्थकता स्तर पर विस्तार पूर्वक परिचर्चा की। इस मौके पर सरोज, ललिता रावत, ममता कांडपाल, मनोज आर्या, कुंदन लटवाल, चंद्रा बिष्ट, पूजा पाठक, मनीषा, कुसुम जोशी, योगेश जोशी, अंजलि, आनंद राम, अविनाश सील आदि मौजूद रहे।