लंका दहन कर हनुमान ने तोड़ा लंकानरेश का घमंड

अल्मोड़ा। श्री भुवनेश्वर महादेव मंदिर एवं रामलीला समिति कर्नाटक खोला अल्मोडा की अष्टम दिवस की रामलीला में हनुमान जागर, हनुमान का समुद्र लांघकर लंका में प्रवेश, रावण-सीता संवाद, त्रिजटा -सीता संवाद, अशोक वाटिका प्रसंग, सूक्ष्म हनुमान -सीता संवाद, अक्षय कुमार वध, मेघनाद-हनुमान युद्ध, रावण-हनुमान संवाद, लंका दहन, विभीषण का लंका से निष्कासन, रामेश्वरम प्रसंग मुख्य आकर्षण रहे। रामलीला मंचन में कलाकारों के सुंदर अभिनय व संवादों से दर्शक भाव विभोर हुए व रामलीला मंचन की भूरि-भूरि प्रसंशा करते हुए उन्होंने तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का मनोबल बढ़ाया। सर्वप्रथम अष्टम दिवस की रामलीला का शुभारम्भ मुख्य अतिथि नवीन बिष्ट भूतपूर्व सैनिक एवं भाजपा के नगर उपाध्यक्ष तथा विशिष्ट अतिथि जया पाण्डे वरिष्ठ रंगकर्मी एवं लेखिका द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। मुख्य अतिथियों ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान परिवेश में अपनी लोक कला संस्कृति के उत्थान,संरक्षण एवं नयी पीढी को इससे जोडने हेतु रामलीलाओं का आयोजन अत्यन्त आवश्यक है। ताकि समाज भगवान श्री राम के जीवन चरित्र व आदर्शो से प्रेरित होकर उनके गुणों को आत्मसात कर सकें। राम की पात्र रश्मि काण्डपाल, लक्ष्मण के पात्र में दीक्षा कर्नाटक, सीता के पात्र में कोमल जोशी, हनुमान के पात्र में अनिल रावत, रावण के पात्र में पूर्व दर्जा मंत्री बिट्टू कर्नाटक, विभीषण के पात्र में जितेन्द्र काण्डपाल, सूक्ष्म हनुमान के पात्र में गौरव काण्डपाल सहित सभी कलाकारों ने जीवन्त अभिनय किया। हनुमान जागर, रावण-सीता तथा रावण-हनुमान, सूक्ष्म हनुमान-सीता संवाद के सुन्दर गायन एवं कुशल अभिनय को दर्शकों ने काफी सराहा। रावण के कलाकार बिट्टू कर्नाटक के संवाद व प्रभावी अभिनय ने सभी को रोमांचित किया। इस अवसर पर भूपेंद्र बिष्ट, देवेन्द्र जनौटी, एस.एस.कपकोटी, डॉ. करन कर्नाटक, मनीष तिवारी, त्रिभुवन अधिकारी, भुवन चन्द्र पाण्डे, भुवन चन्द्र कर्नाटक, जगदीश चन्द्र तिवारी, सुरेश कुमार, रजनीश कर्नाटक, विद्या कर्नाटक, सीमा कर्नाटक, कपिल नयाल आदि सहित भारी संख्या में दर्शक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन गीतांजलि पाण्डे द्वारा किया गया।


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