
अल्मोड़ा। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक मामले को लेकर अल्मोड़ा से कांग्रेस विधायक मनोज तिवारी ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। बुधवार को कांग्रेस कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि राज्य में पेपर लीक की घटनाएं आम हो चुकी हैं, लेकिन सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। यह बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ खुला खिलवाड़ है। मनोज तिवारी ने कहा कि यह कोई पहली घटना नहीं है। उत्तराखंड में लगभग हर बड़ी भर्ती परीक्षा से पहले पेपर लीक की खबरें आती हैं, लेकिन सरकार अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई है। नकल विरोधी कानून बनने के बावजूद भाजपा सरकार में उसी के कार्यकर्ता इस कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पेपर लीक के लगातार मामलों के बावजूद आयोग के कर्मचारियों को नहीं बदला गया है। सरकार को तुरंत आयोग के सभी कर्मचारियों को बदलना चाहिए और मामले की उच्चस्तरीय जांच करानी चाहिए। उन्होंने पेपर लीक प्रकरण की सीबीआई जांच की भी मांग की। विधायक ने यह भी मांग की कि विवादित परीक्षा को रद्द कर सरकार को दोबारा निष्पक्ष रूप से परीक्षा आयोजित करनी चाहिए। मनोज तिवारी ने कहा कि इस परीक्षा के लिए लगभग 1 लाख 54 हजार 700 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जिनमें से करीब 1 लाख 5 हजार 300 ने परीक्षा दी और 48 हजार 39 सौ अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि आयोग के अध्यक्ष गणेश मर्तोलिया को परीक्षा में हुई अनियमितताओं की जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए। तिवारी ने यह भी कहा कि प्रदेश में थराली, धराली, बागेश्वर समेत कई जगहों पर आपदा आई थी, इसलिए ऐसे हालात में परीक्षा रद्द की जानी चाहिए थी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार इन मांगों को पूरा नहीं करती, तो कांग्रेस सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने को बाध्य होगी। पत्रकार वार्ता में कांग्रेस जिलाध्यक्ष भूपेंद्र भोज, नगर अध्यक्ष तारा चंद्र जोशी, पीताम्बर पांडे और पूरन रौतेला भी मौजूद रहे।