डंक रहित मधुमक्खी पालन की नई तकनीक हुई विकसित

गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने डंक रहित मधुमक्खी पालन की नई तकनीक विकसित की है। इसमें रानी मधुमक्खी और श्रमिक मधुमक्खियों को बिना नुकसान पहुंचाए शहद निकाला जा सकता है। पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कीट वैज्ञानिक डॉक्टर एम.एस. खान का कहना है कि डंक रहित मधुमक्खी पालन पूरे उत्तर भारत क्षेत्र में केवल पंतनगर में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सालों के शोध के बाद इसके मल्टीप्लिकेशन और पालने की विधि ईजाद की गई है। कीट वैज्ञानिक डॉक्टर एम.एस. खान कहते हैं कि इस तकनीक से मिले शहद में ज्यादा औषधिय गुण होते हैं और यह बाजार में ढाई हजार से 3 हजार रुपये प्रति किलो की दर से बिकता है। साथ ही परागण क्रिया अधिक होने के कारण फसलों के उत्पादन पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक डॉक्टर पूनम श्रीवास्तव का कहना है कि कोरोना काल में डंक रहित मुधमक्खी के शहद से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। ग्रामीण महिलाएं भी आसानी से मधुमक्खी पालन की इस नई तकनीक के जरिए आर्थिक रूप से मजबूत हो सकती हैं। केंद्र सरकार को डंक रहित मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने का प्रस्ताव भेजा गया है ताकि इस पर और तेजी से काम किया जा सके।