लौह अयस्क और इस्पात पर निर्यात शुल्क हटा, उद्योग ने निर्णय को सराहा

नई दिल्ली। सरकार ने कुछ प्रकार के लौह अयस्क और लोहा तथा इस्पात उत्पादों पर निर्यात शुल्क हटाने का निर्णय लिया है। मुद्रास्फीति का दवाब कम होने के मद्देनजर उठाये गये इस कदम से घरेलू इस्पात उद्योग को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
उद्योग जगत ने इस निर्णय का स्वागत किया है।
वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार 58 प्रतिशत से कम लौह तत्व वाले लौह अयस्क लम्प (डली ) और फाइन (चूरा) पर निर्यात शुल्क शुन्य कर दिया है। जबकि 58 प्रतिशत से अधिक लौह तत्व वाले लौह अयस्क (लम्प और फाइन ) पर निर्यात शुल्क 30 प्रतिशत रहेगा।
लौह अयस्क पैलेट पर निर्यात शुल्क शुन्य कर दिया गया है।
इसी तरह विभिन्न प्रकार के पिग आयरन और इस्पात उत्पादों ( प्रशुल्क के लिए सुसंगत वर्गीकरण की व्यवस्था-एचएस कोड 7201,7208,7209,7210,7213,7214,7219,7222,7227 के अन्तर्गत आनेवाले उत्पाद)पर निर्यात शुल्क शुन्य कर दिया गया है।
वित्त मंत्रालय का कहना है कि इससे घरेलू इस्पात उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा और निर्यात को बढावा मिलेगा। सरकार ने मई में मुद्रा स्फीति का दवाब बढऩे के बीच लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क में 15 से 50 प्रतिशत की वृद्धि कर दी थी और लोहे और इस्पात उत्पादों पर भी शुल्क बढा दिया था।
सरकार ने एंथ्रेसाइट -पीसीआई और कोकिंग कोल तथा पैरोनिकल पर आयात शुल्क 2.5 प्रतिशत और कोक और सेमी कोक पर शुल्क 5 प्रतिशत करने का फैसला किया है। मई में इन पर शुल्क हटा लिया गया था।
अक्टूबर माह में भारत से इस्पात के निर्यात में 66 प्रतिशत की भारी गिरावट के बाद सरकार ने यह कदम उटाया है।अक्टूबर में इस्पात का निर्यात 3.6 शुन्य लाख टन रह गया जबकि पिछले साल इस माह में निर्यात 10.5 लाख टन का था।
टाटा स्टील के सीईओ और प्रबंध निदेशक पीवी नरेन्द्र ने निर्णय का स्वागत करते हुये कहा कि शुल्क मुद्रा स्फीति का सामना करने के लिए लगाये गये थे यह हम समझते है। उन्होंने कहा कि भारत लौह अयस्क के मामले में समृद्ध है और देश में अपनी और दुनिया की जरुरत के अनुसार इस्पात बनाने की बडी संभावना है।
श्री नरेन्द्र के कहा कि चीन जापान और दक्षिण कोरिया कुल मिलाकर एक वर्ष में 15 करोड़ टन इस्पात का निर्यात करते है जबकि उन्हें जरुरत का अधिकांश लौह अयस्क बाहर से मंगाना पड़ता है। बडे इस्पात निर्माताओं के संगठन इंडियन स्टील ऐशोसिएशन के महासचिव आलोक सहाय ने कहा कि सरकार ने मुद्रा स्फीति का दवाब कम होने के साथ ही जिस तरह यह फैसला किया है वह दिखाता है कि सरकार आम आदमी और उद्योग दोनों के हितों का ध्यान रखती है।


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