
रुद्रपुर(आरएनएस)। गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंतनगर की शोधार्थी मनीषा पांडे ने खेती की दुनिया में अहम खोज की है। उन्होंने एक ऐसा जंगरोधी पदार्थ तैयार किया है जिससे ज्यादा टिकाऊ और ऊर्जा कुशल कृषि यंत्र बनाए जा सकेंगे। खासकर इससे तैयार फार्म मैट्रिक डिवाइस से बीज बोने की प्रक्रिया अधिक आसान और कम खर्चीली होगी।
वर्तमान में सुपर सीडर या सीड ड्रिल यंत्र में लगभग सात किलोग्राम लोहे से बनी फार्म मैट्रिक डिवाइस का उपयोग होता है। यह डिवाइस खेत में निश्चित गहराई और अंतराल पर बीज व खाद डालने का काम करती है। लोहे से बनी होने के कारण यह जल्द ही जंग खा जाती है। खाद के लगातार संपर्क और अधिक वजन के चलते इनकी उम्र घटती है। साथ ही ईंधन या ऊर्जा की खपत भी बढ़ जाती है।
विश्वविद्यालय के सीबीएसएच कॉलेज के रसायन विज्ञान विभाग में डॉ. एमजीएच जैदी और डॉ. समीना महताब के निर्देशन में मनीषा पांडे की ओर से विकसित जंगरोधी पदार्थ से बनी नई डिवाइस हल्की, टिकाऊ और कम ऊर्जा खर्च करने वाली है। यह कम मेहनत, कम खर्च और ज्यादा उत्पादन की दिशा में एक ठोस कदम।
मनीषा बताती हैं कि बैटरियों के इलेक्ट्रोड्स में जंग लगने से प्लेटें जल्दी खराब हो जाती हैं जिनमें उपयोग होने वाला एडिटिव कुछ ही दिनों में निष्क्रिय हो जाता है। उन्होंने पारंपरिक एडिटिव की जगह फेरोसिन कंपाउंड का इस्तेमाल किया और उस पर विशेष कोटिंग की। सामान्य तौर पर यह कोटिंग कुछ समय में उड़ जाती है लेकिन मनीषा की तकनीक से इसे 99 प्रतिशत तक स्थायी बना दिया गया है। यही कोटिंग आगे चलकर फार्म मैट्रिक डिवाइस में उपयोग की गई। यह शोधपत्र जरनल अमेरिकन केमिकल सोसायटी के शोधग्रंथ ‘एप्लाइड इंजीनियरिंग मैटीरियल’ में 10 अक्तूबर 2025 को प्रकाशित हुआ है।
इस सफलता के पीछे मनीषा की अंतरराष्ट्रीय ट्रेनिंग का भी अहम योगदान रहा है। उन्हें ताइवान की नेशनल सुन-यट-सेन यूनिवर्सिटी (एनएसटीसी) से चार माह की फेलोशिप मिली थी। वहां उन्होंने लीथियम आयन बैटरी और कार्बन नैनोट्यूब्स पर शोध किया। उन्होंने ग्रीन प्रक्रम विधि से लीथियम आयन बैटरी के प्रमुख कारक कार्बन नैनो ट्यूब विकसित करने की दिशा में भी उल्लेखनीय कार्य किया था।
यह शोध न सिर्फ विश्वविद्यालय बल्कि देश के लिए भी गर्व की बात है। ऐसी तकनीकों से खेती में इंटरप्रेन्योरशिप के नए रास्ते खुलेंगे। अगर जंगरोधी पदार्थ से कृषि यंत्र बड़े पैमाने पर बनने लगे तो हम अन्य देशों पर निर्भर नहीं रहेंगे। इससे देश का राजस्व भी बचेगा और विदेशी मुद्रा की बचत होगी। – डॉ. मनमोहन सिंह चौहान, कुलपति, जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय





