कश्मीर को अशांत रखने के लिए पर्रा ने गिलानी के दामाद को दिए थे 5 करोड़

एनआईए का दावा
नई दिल्ली, 27 मार्च (आरएनएस)। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि पीडीपी के युवा नेता वहीद-उर-रहमान पर्रा ने हिजबुल मुजाहिदीन सदस्य बुरहान वानी की 2016 में मौत के बाद कश्मीर में गड़बड़ी जारी रखने के लिए कट्टरपंथी हुर्रियत कांफ्रेंस नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद को पांच करोड़ रुपये दिए थे। एनआईए ने हाल ही में जम्मू में एक स्पेशल कोर्ट में दायर चार्जशीट में आरोप लगाया है कि पर्रा हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों से जुड़़े रहे हैं। पर्रा को पिछले साल नवंबर में गिरफ्तार किया गया था।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने हाल ही में जम्मू में एक विशेष अदालत में दायर एक चार्जशीट में ये खुलासा किया था। एनआईए ने आरोप लगाया कि जुलाई 2016 में सेना के साथ मुठभेड़ में मारे गए वानी की मौत के बाद, पारा अल्ताफ अहमद शाह के संपर्क में था, और उसे यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि था कि कश्मीर घाटी पूरी तरह अशांत रखनी है, वहां पथराव और हिंसात्मक घटनाएं व्यापक पैमाने पर होनी चाहिए।
पारा, अपने वकील के माध्यम से, इन आरोपों से इनकार कर रहा है और दावा कर रहा है कि उसे राजनीतिक कारणों से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद अदालत ने पूरक चार्जशीट में नाम न होने पर उसे जमानत दे दी थी। इसके बाद कश्मीर में काउंटर इंटेलिजेंस विंग द्वारा उसे पुन: गिरफ्तार किया गया था, और तब से जेल में है। श्रीनगर में एनआईए अदालत ने उनकी जमानत खारिज कर दी थी।
पीडीपी ने पहले दावा किया था कि केंद्र सरकार पारा पर एक रणनीति के तहत दबाव बना रही थी कि वह पाला बदल कर भाजपा में शामिल हो जाए। एनआईए की चार्जशीट में आरोप लगाया गया कि पारा ने शाह को 5 करोड़ रुपये का भुगतान किया था, जिसे गिलानी का करीबी सहयोगी भी माना जाता था। पारा ने यह राशि पीडीपी की ओर से हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को दी थी। इस दौरान, शाह पार्टी के युवा नेता पारा के साथ घनिष्ठ संपर्क में था। पारा को पीडीपी प्रमुख और तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का करीबी विश्वासपात्र माना जाता है।
कश्मीर में वर्ष 2016 में बुरहान वानी की मौत के बाद लगभग 53 दिनों के लिए कर्फ्यू लगा रहा था। इस दौरान हिंसक झड़पों में लगभग 100 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी और 4,000 सुरक्षाकर्मियों सहित हजारों लोग घायल हुए। जम्मू और कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकवादी समूहों को धन मुहैया कराने के रैकेट में शामिल होने के आरोप में जुलाई 2017 में एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद शाह पहले ही न्यायिक हिरासत में हैं।