झारखंड के साहिबगंज में बच्चों को मोबाइल फोन चोरी की दी जा रही ट्रेनिंग

रांची (आरएनएस)। झारखंड के साहिबगंज जिले के राजमहल और तिनपहाड़ कस्बों में ऐसे ‘स्कूल’ हैं, जहां बच्चों को मोबाइल फोन चुराने की ट्रेनिंग दी जाती है। यहां प्रशिक्षित बच्चों को बड़े शहरों और महानगरों में भेजा जाता है और फिर गिरोह के नेता उन्हें क्षेत्र आवंटित करते हैं और उनके काम की निगरानी करते हैं। रांची पुलिस ने हाल ही में मोबाइल फोन चोर गिरोह के चार नाबालिग सदस्यों को पकड़ा है। पुलिस ने इनके कब्जे से चोरी के 43 मोबाइल फोन भी बरामद किए हैं।
गिरोह के एक 17 वर्षीय सदस्य ने पुलिस को बताया कि उसे 2020 में भी मोबाइल चोरी के आरोप में पकड़ा गया था और फिर चार महीने तक बिहार के बक्सर जिले के किशोर गृह में रखा गया था।
गिरोह का एक अन्य सदस्य, जो केवल 11 वर्ष का था, ने खुलासा किया कि वह भी पिछले दिनों एक मोबाइल चोरी के मामले में शामिल था और उसे 11 दिनों के लिए बिहार के भागलपुर में एक किशोर गृह में रखा गया था।
चोरी जैसे अपराधों के लिए बच्चों को थोड़े समय के लिए किशोर गृहों में रखा जाता है। पुलिस भी इनके बारे में ज्यादा पूछताछ नहीं करती है।
पकड़े गए गिरोह के सदस्यों ने पुलिस को बताया कि उन्हें हर दिन 8 से 10 मोबाइल चोरी करने का टारगेट दिया जाता है। हर मोबाइल चोरी के लिए उन्हें मिलने वाला पारिश्रमिक तय होता है।
ब्रांड और मोबाइल फोन की कीमत के आधार पर उन्हें प्रति हैंडसेट 1000 रुपये से 2000 रुपये मिलते हैं।
गिरोह के बड़े सदस्य बच्चों के आसपास खड़े होते हैं। ये बच्चे मोबाइल फोन चोरी करने के तुरंत बाद इसे बड़े सदस्यों को सौंप देते हैं। जब बड़ी संख्या में चोरी के मोबाइल जमा हो जाते हैं तो गिरोह का सरगना उन्हें साहिबगंज ले जाता है।
मोबाइल चोरी में शामिल बच्चे अपने माता-पिता की सहमति से यह काम करते हैं। ज्यादातर बच्चे गरीब आर्थिक स्थिति वाले परिवारों से आते हैं। वे ज्यादातर साहिबगंज जिले (झारखंड) के तिनपहाड़, तालझरी और महाराजपुर और पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले के बरनपुर, हीरापुर, आसनसोल से हैं।
पकड़े गए बच्चों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने तिनपहाड़ और राजमहल में मोबाइल चोरी करने का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। उनके बॉस सूरज, चंदन और अन्य ने उन्हें मोबाइल फोन चोरी करने के तरीके सिखाए। ट्रेनिंग के बाद इन्हें रांची लाया गया। उनके अनुसार सब्जी और दैनिक बाजार मोबाइल चोरी करने के लिए सबसे अच्छी जगह हैं, क्योंकि कार्य पूरा करने के बाद उनके लिए वहां से गायब होना आसान होता है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक चोरी के मोबाइल बांग्लादेश और नेपाल पहुंचाए जाते हैं। एक साल में अकेले रांची में ऐसे गिरोह के 30 से ज्यादा नाबालिग सदस्यों को पकड़ा गया है।

Powered by myUpchar

error: Share this page as it is...!!!!