हिमाचल के हाइड्रो प्रोजेक्ट से दूसरे फेज में भी रिसाव, सबसे ज्यादा चंदा देने वाली कंपनी से है कनेक्शन

कांगड़ा (आरएनएस)। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में 25 मेगावॉट की लंबाडग हाइड्रोइलेक्ट्रिक (पनबिजली) परियोजना लीकेज को लेकर विवादों में आ गई है। जिसके बाद विशेषज्ञों ने इलाके में नए प्रोजेक्ट्स शुरू करने पर रोक लगाने की मांग की है। दरअसल इस प्रोजेक्ट से परीक्षण के दौरान एकबार फिर लीकेज हुआ है। हाल ही में हुए पेनस्टॉक लीकेज के बाद मुलथान गांव में तबाही मच गई और लोगों की सम्पत्ति को काफी नुकसान पहुंचा। पानी के रिसाव से घरों, दुकानों और सड़कों पर मलबा और पानी भर गया।
10 मई को हुए इस लीकेज के बाद हिमधारा एन्वायरमेंट रिसर्च और एक्शन कलेक्विट संस्था की तीन सदस्यीय टीम बीते शनिवार को क्षेत्र में पहुंची। वहां पहुंचकर टीम ने इलाके में हुए नुकसान के बारे में जायजा लिया और लोगों से पूछताछ करते हुए उनके बयान लिए। टीम ने 25 मेगावाट और उससे अधिक क्षमता की नई परियोजनाओं पर पूर्ण रोक लगाने की मांग की।
टीम ने पाया कि पनबिजली परियोजना के लीक हो रहे पेनस्टॉक से निकलने वाले गंदे पानी ने गांव के लगभग 80 परिवारों को प्रभावित किया है। टीम ने कहा कि परियोजना अधिकारियों के इस दावे के बावजूद कि जलाशय पूरी तरह से सूख गया है, पानी का रिसाव जारी है। फोरबे के नीचे प्रेशर शाफ्ट और पेनस्टॉक के पास से पानी रिस रहा है।
लंबाडग नदी पर चल रहा यह प्रोजेक्ट, ब्यास नदी और उसकी सहायक नदियों पर विभिन्न चरणों में जारी 40 परियोजनाओं में से एक है। इनमें से 19 परियोजनाएं 25 मेगावॉट या उससे ज्यादा क्षमता वाली हैं, जिनमें महत्वपूर्ण भूमिगत और सतही उत्खनन किया जा रहा है। टीम ने राज्य में चल रही सभी जलविद्युत और मेगा परियोजनाओं की सुरक्षा ऑडिट की सिफारिश भी की। इस परियोजना का निर्माण मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। इससे पहले यहां परीक्षण स्टेज के दौरान भी रिसाव हुआ था। हालांकि, उस वक्त पानी की मात्रा ज्यादा नहीं थी और तब लोगों को आश्वासन दिया गया था कि सभी सुरक्षा उपाय किए जाने के बाद ही परियोजना चालू होगी। बता दें कि 10 मई को हुए लीकेज के बाद मुल्थान बाजार का लगभग 300 मीटर का इलाका और लगभग 4 हेक्टेयर कृषि भूमि प्रभावित हुई। टीम ने पाया कि प्रभावित क्षेत्र में बनी हुई बिल्डिंगों की नींव और निचली मंजिलें 6 फीट तक गंदगी से ढकी हुई हैं। इस प्रोजेक्ट को बना रही मेघा इंजीयरिंग वही कंपनी है जो इलेक्टोरल बॉण्ड के जरिए राजनीतिक दलों को सबसे ज्यादा चंदा देने के मामले में दूसरे नंबर पर रही थी। हाल ही में जब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर चुनावी बॉण्ड लेने वाली कम्पनियों के नाम का खुलासा हुआ था तो मेघा इंजीनियरिंग बॉण्ड लेने वाली टॉप 10 कंपनियों की ल‍िस्‍ट में दूसरे नंबर पर थी। इसने एसबीआई से कुल 966 करोड़ रुपए के बॉण्ड खरीदे थे।