
नैनीताल। हाईकोर्ट के 68 साल पुराने नियमों में बदलाव की मांग को लेकर दायर नोएडा निवासी अजय गौतम की जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है। हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि कुमार मलिमथ एवं रविन्द्र मैठाणी की खण्डपीठ में याचिका पर सुनवाई हुई। न्यायालय ने कहा कि हाईकोर्ट में पहले से ही इन मांगों पर विचार किया जा रहा है। यदि उनकी मांगों पर कार्यवाही नहीं होती है, तो वे पुन: याचिका दायर करने को स्वतंत्र होंगे। अजय गौतम ने जनहित याचिका में कहा है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 1952 के नियमों का पालन किया जा रहा है। याचिका में सबसे अधिक महत्व हाईकोर्ट के रजिस्ट्री कार्यालय से संबंधित नियमों को दिया गया है। कहा गया है कि कई वादियों एवं प्रतिवादियों को उनके मुकदमे कोर्ट में लगने की सूचना या तो तारीख के पूर्व दिवस की शाम मिलती है या फिर मिलती ही नहीं है। जिस कारण जो लोग अपने मुकदमे अधिवक्ता के बजाय स्वयं लड़ते हैं अथवा उनके अधिवक्ता बाहरी शहर या राज्य से आते हैं, उन्हें असुविधा का सामना करना पड़ता है। क्योंकि वाद की पूर्व संध्या पर सूचना मिलने के बाद केस की तैयारी करना और मुकदमे की पैरवी के लिये नैनीताल पहुंचना कठिन हो जाता है। इन पुराने नियमों से न्याय मिलने में भी देरी हो रही है। अजय गौतम ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट के वर्षों पुराने नियमों में बदलाव कर वादियों प्रतिवादियों को उनके मुकदमे की तारीख एसएमएस या ई-मेल के जरिये देने, रजिस्ट्री कार्यालय के पुराने नियमों में बदलाव कर उनमें आधुनिकीकरण करने, डिजिटल माध्यम का उपयोग करने की मांग की है।






