हत्या सहित आठ मुकदमों में शामिल इनामी बदमाश गिरफ्तार
देहरादून। मेरठ में हत्या व हत्या के प्रयास सहित आठ मुकदमों में शामिल इनामी बदमाश को डालनवाला कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार किया है। बदमाश देहरादून के डालनवाला कोतवाली व सेलाकुई थाने में दर्ज चार मुकदमों में वांछित चल रहा था। उस पर 25 हजार रुपये का इनाम था। इस मामले में पांच आरोपित पहले गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
आरोपितों ने सर्वोच्च न्यायालय की ओर से गठित विशेष कमेटी के सदस्यों के जाली हस्ताक्षर कर संपत्ति बिक्री के फर्जी दस्तावेज तैयार किए और पर्ल्स ग्रीन फोर्ट लिमिटेड (पीजीएफ) व पर्ल्स एग्रोटेक कारपोरेशन लिमिटेड (पीएसीएल) की दून में सीज संपत्तियां बेच दी थीं। डालनवाला कोतवाली में पत्रकार वार्ता में सीओ जूही मनराल ने बताया कि पीजीएफ और पीएसीएल की कुछ संपत्तियां विवादित थीं। वर्ष 2015 में सीबीआइ की जांच के बाद सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर देशभर में पीजीएफ की 348 और पीएसीएल की 14000 संपत्तियों को सीज कर दिया गया था। देहरादून के विभिन्न इलाकों में भी पीजीएफ और पीएसीएल की सीज संपत्तियां हैं।
बीते दिनों देहरादून में भाऊवाला, धोरणखास, तरला आमवाला, बड़ोवाला व मसूरी में पीजीएफ और पीएसीएल की सीज संपत्तियों को डिफेंस कालोनी स्थित एसपीके वर्ल्ड काम प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक पूजा मलिक, संजीव मलिक, जितेंद्र उर्फ जानी और उनके साथियों ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व हरियाणा के व्यक्तियों को बेच दीं। इसके बदले आरोपितों ने उनसे एक करोड़ 73 लाख रुपये ठग लिए। इस मामले में छह जनवरी 2022 को आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया।
उन्होंने बताया कि इस मामले में पुलिस पूजा मलिक व उसके पति संजीव मलिक निवासी डिफेंस कालोनी सहित पांच आरोपितों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। गिरोह के सरगना संजीव मलिक का दायां हाथ कहे जाना वाला बदमाश जितेंद्र उर्फ जानी निवासी अमन विहार, सहस्रधारा रोड मूल निवासी ग्राम भगवानपुर, जिला मेरठ फरार चल रहा था, जिस पर 25 हजार रुपये इनाम था। रविवार को एसएसआइ महादेव प्रसाद उनियाल ने उसे ईसी रोड से गिरफ्तार कर लिया।
इंस्पेक्टर डालनवाला कोतवाली एनके भट्ट ने बताया कि जितेंद्र उर्फ जानी मेरठ का दुर्दांत अपराधी है। गैंगवार के चलते उसने वर्ष 2009 के दौरान ब्लाक प्रमुख रोहटा, मेरठ के विजेंद्र सिंह को गोली मारकर घायल कर दिया था, इस मामले वह सजायाफ्ता है। इसके बाद 2012 में उसने दूसरे गैंग के सदस्य रविंदर चौधरी का देहरादून से अपहरण कर मुजफ्फरनगर में गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में नेहरू कालोनी थाने में गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज है।
यह मामला अभी अदालत में है। संगीन अपराध के बाद वह भूमाफिया संजीव मलिक के साथ जुड़ा। संजीव मलिक ने उसे लोगों को डराने-धमकाने के लिए रखा हुआ था। पीजीएफ और पीएसीएल की सीज संपत्तियों के निस्तारण के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष कमेटी गठित की है। आरोपितों ने इसी कमेटी के सदस्यों (सेवानिवृत्त न्यायाधीश) के जाली हस्ताक्षर कर संपत्ति बिक्री के फर्जी दस्तावेज और सेबी के फर्जी प्रमाणपत्र दिखाकर जालसाजी को अंजाम दिया।
इन दस्तावेजों के आधार पर आरोपित उक्त संपत्ति पर अपना हक बताकर सौदा करते थे। फर्जी दस्तावेज तैयार करने में सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों के कर्मचारियों की साठगांठ की बात भी सामने आ रही है। आरोपितों ने खरीदारों को विश्वास में लेने के लिए कमेटी के बैंक खातों में फर्जी लेनदेन भी दर्शाया।