चारधाम यात्रा स्थगित होने से यात्रा पड़ावों पर सन्नाटा

चमोली। बीते वर्ष और इस बार भी कोरोना संक्रमण के चलते चारधाम यात्रा को स्थगित करने के शासन के निर्णय से व्यापारियों की तमाम तैयारियां धरी की धरी रह गई हैं। यात्रा तैयारियों को लेकर नगर के सभी होटल स्वामियों ने तीर्थयात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के साथ ही अपने प्रतिष्ठानों की सफाई और रंग-रोगन कर दी थी। अब व्यापारियों के सामने रोजगार का संकट बना हुआ है। बीते वर्ष भी कोरोना संक्रमण के कारण यात्रा मार्गों पर होटल सहित ढाबों पर सन्नाटा पसरा था। इस साल भी यही स्थिति रहेगी। बदरीनाथ यात्रा मार्ग पर स्थित चारधाम यात्रा के अहम पड़ाव कर्णप्रयाग में पैदल राहगीरों के लिए काली कमली धर्मशाला संगम तट, लाटूगैर में इस बार आश्रम का विस्तारीकरण कर साधु-संन्यासियों के भंडारे की व्यवस्था शुरू कर दी गई थी। इसी तरह चट्टवापीपल, गलनाऊं सहित बीते दो दशक से कर्णप्रयाग के सोनला, विराजकुंज ढाबा के स्वामी महेंद्र, राजेंद्र सिंह, देवी प्रसाद कहते हैं कि पैदल यात्रियों सहित देश-विदेश से पहुंचने वाले यात्रियों का जमघट यात्रा सीजन में ढाबों पर बना रहता था। साथ ही नगरासू, लंगासू में भी पंजाब से पहुंचे श्रद्धालु रैन-बसेरा और भंडारे का आयोजन कर पैदल राहगीरों को पानी और नाश्ते का प्रबंध निश्शुल्क करते थे। लेकिन, बीते साल से इन यात्री पड़ावों पर सन्नाटा बना है।
यात्रा के स्थगित होने से व्यापारियों को सर्वाधिक नुकसान: व्यापार संघ के प्रदेश मंत्री ईश्वरी प्रसाद, पुष्कर सिंह, बृजेश बिष्ट ने कहा कि बीते साल भी यात्रा स्थगित होने से होटल संचालक पूरे साल हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। ऐसे में बिजली और पानी का उपभोग नहीं हो पाया। लेकिन, सरकार ने बिजली और पानी के बिलों में वृद्धि कर दी है, जिससे व्यापारी हताश हैं। व्यापारियों ने कहा कि व्यापार ठप होने के कारण समय पर ऋण अदायगी नहीं हो पा रही है। व्यापारिक प्रतिष्ठानों के खुलने का समय भी सीमित करने से व्यापारियों को दोहरा नुकसान हो रहा है। ऐसे में ठोस नीति तैयार कर बिजली और पानी के बिलों को माफ कर काम करने वाले कर्मचारियों के न्यूनतम मानदेय की व्यवस्था सुनिश्चत करें।


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