
ईपीएफओ सेंट्रल बोर्ड का फैसला
नई दिल्ली (आरएनएस)। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में ईपीएफओ ने 8.5 फीसदी की दर से ब्याज देने का फैसला किया है। यह फैसला केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक में लिया गया यानि 2020-21 के लिए ब्याज दर में बदलाव नहीं किया गया।
ईपीएफ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में केंद्रीय श्रम और रोजगार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष कुमार गंगवार की अध्यक्षता में हुई 228वीं बैठक में उपाध्यक्ष अपूर्व चंद्रा एवं श्रम और रोजगार सचिव तथा सदस्य सचिव एवं केंद्रीय भविष्यनिधि आयुक्त सुनील बर्थवाल भी उपस्थित थे। इस बैठक में सेंट्रल बोर्ड ने वित्त वर्ष 2021 के लिए अपने ग्राहकों के संचित ईपीएफ पर 8.50 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देने की सिफारिश की है। ब्याज दर अधिकारिक रूप से सरकारी गजट में अधिसूचित होने के बाद ईपीएफओ ग्राहकों के खाते में ब्याज दर जमा करेगा। मंत्रालय के अनुसार ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2014 से लगातार 8.50 प्रतिशत का लाभ दिया है। योगिकीकरण के साथ ऊंची ईपीएफ ब्याज दर ग्राहकों के लिए काफी महत्व रखती है। इस तथ्य के बावजूद कि ईपीएफओ ने निवेश के प्रति अपना दृष्टिकोण अनुदार रखा है, सबसे अधिक बल पहले मूल धन की रक्षा और संरक्षण पर दिया है। ईपीएफओ की जोखिम प्रवृत्ति काफी कम रही है, क्योंकि इसमें गरीब आदमी के अवकाशप्राप्ति के बाद की बचत शामिल है। ईपीएफओ कई वर्षों से अपने सदस्यों को न्यूनतम ऋण जोखिम के साथ विभिन्न आर्थिक चक्रों के माध्यम से अधिक आय प्रदान कर रहा है। ईपीएफओ निवेश के अधिक ऋण प्रोफाइल पर विचार करते हुए, ईपीएफओ की ब्याज दर उपभोक्ताओं को अन्य उपलब्ध निवेश अवसरों की तुलना में अधिक है।
किस साल कितना मिला ब्याज?
2013-14 8.75 फीसदी
2014-15 8.75 फीसदी
2015-16 8.80 फीसदी
2016-17 8.65 फीसदी
2017-18 8.55 फीसदी
2018-19 8.65 फीसदी
2019-20 8.50 फीसदी
सामाजिक सुरक्षा मजबूत
वित्तवर्ष 2021 के लिए ईपीएफओ ने निवेश समाप्त का निर्णय लिया और अनुसंशित ब्याज दर ऋण निवेश से प्राप्त ब्याज आय और इक्विटी निवेश से प्राप्त आय के मिश्रण का परिणाम हैं। इससे ईपीएफओ अपने ग्राहकों को अधिक लाभ देने में सक्षम हुआ है और भविष्य में भी अधिक लाभ देने के लिए सुरक्षित धन है। इस आय वितरण के कारण ईपीएफओ ने जमा से अधिक राशि कभी नहीं निकाली। ईपीएफओ का आश्वस्त निश्चित लाभ की घोषणा सीबीटी द्वारा कर छूट के साथ प्रत्येक वर्ष की जाती है। इससे निवेशकों को आकर्षक पसंद मिलता है। उन्हें भविष्यनिधि, पेंशन तथा बीमा योजनाओं के रूप में मजबूत सामाजिक सुरक्षा मिलती है। कोरोना काल में कई योजनाओं पर मिलने वाला ब्याज कम हुआ था, लेकिन ईपीएफ खातों में अधिक ब्याज मिलता है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए पीएफ राशि पर ब्याज दर की घोषणा करता है।