बिना सुरक्षा पल्स पोलियो कार्यक्रम का हिस्सा बनने से आशा कार्यकर्ताओं का इनकार

सरकार ने आशाओं को बंधुवा मजदूर समझ लिया है: रिंकी जोशी

हल्द्वानी। आशा कार्यकर्ताओं ने बिना सुरक्षा पल्स पोलियो कार्यक्रम का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि कोरोनाकाल में आशाओं को बिना सुरक्षा उपकरण दिए ही काम कराया जा रहा है। ऐसे में किसी भी बच्चे में संक्रमण फैला तो परिवार वालों का गुस्सा आशाओं को ही झेलना पड़ेगा। नैनीताल जिले में पूरी तरह बेकाबू हो चुके कोरोना की चपेट में आकर आशाएं भी संक्रमित हो रही हैं। 20 सितंबर से पल्स पोलियो अभियान शुरू होने जा रहा है, जिसे सफल बनाने में आशाओं की सबसे बड़ी भूमिका है। आशाएं वेतन,सुरक्षा समेत कई मांगों को पूरा करने के लिए सरकार से गुजारिश कर रही हैं। मगर अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की नगर अध्यक्ष रिंकी जोशी ने कहा कि सरकार ने आशाओं को बंधुवा मजदूर समझ लिया है। कोरोना के खतरे के बीच आशाओं को बिना सुरक्षा काम कराया जा रहा है। आशाएं बीमार हो रही हैं तो उन्हें सडक़ों पर छोडक़र डॉक्टर भाग रहे हैं। इससे आशाओं में काफी नाराजगी है, इसलिए तय किया गया है कि बिना मास्क, सेनेटाइजर, ग्लब्स समेत सुरक्षा उपकरणों के बिना आशाएं पल्स पोलियो अभियान का हिस्सा नहीं बनेंगी। इस संबंध में आशा संगठन ने एकजुटता दिखाई है।


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