ऐतिहासिक बग्वाली मेले में दिखी कुमाऊं की गौरवशाली परंपरा

अल्मोड़ा/द्वाराहाट: द्वाराहाट विकासखण्ड के ऐतिहासिक बग्वालीपोखर में पौराणिक बग्वाई कौतिक (बग्वाली मेला) में देवभूमि की गौरवशाली परंपरा का दीदार हुआ। पौराणिक बग्वाई कौतिक का शुभारंभ मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक मदन सिंह बिष्ट और विशिष्ट अतिथि ब्लाक प्रमुख दीपक किरौला ने रीबन काट कर कार्यक्रम का उद्धघाटन किया। मंच पर कलाकारों ने लोक में रचे बसे गीतों पर थिरक पर्वतीय संस्कृति से रूबरू कराया, वहीं माटी से जुड़े रहने का संदेश भी दिया। लोकगायकों ने फन का जादू बिखेर देर रात तक दर्शकों को बांधे रखा। इधर, दोपहर बाद बग्वालीपोखर की वादियां हुड़की घमक व ढोल की थाप सहित गीतों से गूंजती रही। आपको बता दें कि अल्मोड़ा जिले का सांस्कृतिक इतिहास रहा है। जिले के ग्रामीण अंचल में आज भी कई परंपराएं कायम हैं। वही द्वाराहाट के बग्वालीपोखर में आज दीपावली के बाद भैय्या दूज पर होने वाली ऐसी ही एक परंपरा आज भी कायम है। यहां दीपावली के दौरान होने वाले भय्या दूज जिसे कुमाऊं में बग्वाल या बग्वाली भी कहा जाता है इसके अवसर पर मेले का आयोजन होता आ रहा है। कहा यह भी जाता है कि कभी यहां पोखर तालाब था जहां जल बग्वाल खेली जाती थी और तब से ही इसका नाम भी बग्वाली पोखर हो गया। जनश्रुतियों के अनुसार पांडवों ने अज्ञात वास के समय यहां कुछ समय बिताया था। यह भी कहा जाता है कि आसपास के लोग दीपावली के बाद बग्वाल के दिन जल बग्वाल यानि परंपरागत जल युद्ध भी करते थे, इसमें जीतने वाला धड़ा क्षेत्र में कर वसूली करता था। एक बार इस परंपरा को निभाने में कई लोगों की जान चली गई। तब से इस पोखर यानि तालाब को ढक दिया गया और इसने एक मैदान का रूप ले लिया। हालांकि इससे जुड़े भंडर गांव के थोकदार आज भी यहां ओड़ा भेंटने की रस्म अदायगी करते हैं। इस बार पौराणिक पोखर स्थल में निर्माण कार्य चलने के कारण मेला भमका नौला क्षेत्र में लगाया गया। आज के इस कार्यक्रम में कपकोट विधायक सुरेश सिंह गढ़िया, पलायन आयोग के सदस्य अनिल शाही मौजूद रहे।
(रिपोर्ट: मनीष नेगी द्वाराहाट)

error: Share this page as it is...!!!!
Exit mobile version