Skip to content

RNS INDIA NEWS

आपकी विश्वसनीय समाचार सेवा

Primary Menu
  • मुखपृष्ठ
  • अंतरराष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • राज्य
    • उत्तराखंड
      • अल्मोड़ा
      • उत्तरकाशी
      • ऊधम सिंह नगर
      • बागेश्वर
      • चम्पावत
      • नैनीताल
      • पिथौरागढ़
      • चमोली
      • देहरादून
      • पौड़ी
      • टिहरी
      • रुद्रप्रयाग
      • हरिद्वार
    • अरुणाचल
    • आंध्र प्रदेश
    • उत्तर प्रदेश
    • गुजरात
    • छत्तीसगढ़
    • हिमाचल प्रदेश
      • शिमला
      • सोलन
    • दिल्ली
    • बिहार
    • मध्य प्रदेश
    • मणिपुर
    • राजस्थान
    • त्रिपुरा
  • अर्थ जगत
    • बाजार
  • खेल
  • विविध
    • संस्कृति
    • न्यायालय
    • रहन-सहन
    • मनोरंजन
      • बॉलीवुड
  • Contact Us
  • About Us
  • PRIVACY POLICY
Watch
  • Home
  • राष्ट्रीय
  • बीज की ताकत है समर्पण : सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत
  • राष्ट्रीय

बीज की ताकत है समर्पण : सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत

RNS INDIA NEWS 07/10/2020
default featured image

नईदिल्ली,07 अक्टूबर (आरएनएस)। बीज की ताकत उसका समर्पण है। बीज से वृक्ष बनता है। बीज को मिट्टी में मिल जाना पड़ता है। डॉक्टर हेडग़ेवार ने ऐसे ही प्रतिभाशाली तरुणों की पहचान की और उन्हें यह समर्पण सिखाया। मामाजी माणिकचंद्र वाजपेयी ऐसे ही बीज थे। उन्होंने ध्येय के प्रति समर्पित होकर अपना जीवन जिया। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने प्रख्यात पत्रकार एवं विचारक मामाजी माणिकचंद्र वाजपेयी के जन्मशताब्दी वर्ष का समापन समारोह में व्यक्त किए। समारोह का आयोजन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नईदिल्ली में आयोजित हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने की। मामाजी माणिकचंद्र वाजपेयी जन्मशताब्दी समारोह समिति के अध्यक्ष प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी और वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि विश्व को अपना बनाना है तो पहले भारत को अपना बनाना होगा। अपने जीवन में भारत झलकना चाहिए। विश्वगुरु भारत या महाशक्ति भारत यानी दण्डा चलाने वाला भारत नहीं, बल्कि मानवों हृदय जीतने वाला भारत। ऐसा भारत बनाना है तो ऐसे भारतीयों को खड़ा होना होगा, जो आत्मीय भाव से समर्पित होकर कार्य करें। मामाजी ने इसी आत्मीय भाव से अपना सारा कार्य किया। उन्होंने बताया कि भारत विभाजन के समय देशभर में दंगे चल रहे थे। तब मामाजी भिंड के जिला प्रचारक थे और वे यह चिंता कर रहे थे कि भिंड जिले के एक भी गाँव में दंगा नहीं होना चाहिए। दंगे के डर से जब मुस्लिम परिवारों ने भिंड छोड़ा तो वे अपने घरों की चाबियां मामाजी को सौंप कर गए। अपने व्यवहार और कार्य से मामाजी ने यह विश्वास अर्जित किया। जब संघ पर प्रतिबंध लगा और पुलिस मामाजी को ढूंढ रही थी, तब वे मुस्लिम परिवारों में ठहरे। यह आत्मीयता मामाजी ने अपने संघकार्य से बनाई थी।
सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कहा कि आदमी ने क्या किया और क्या बना, दुनिया इसको गिनती है। लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि आदमी क्या है? यश और सार्थकता दोनों अलग बाते हैं। जीवन सार्थक होना चाहिए। मामाजी का जीवन सार्थक था। मामाजी जैसे लोगों के कारण ही संघ चल रहा है। उन्होंने कहा कि मामाजी के संपर्क में जो भी आया, उसे उनसे प्रेम और प्रकाश ही मिला, चाहे उसकी कोई भी विचारधारा रही हो। राजमाता विजयाराजे सिंधिया और नरसिंह राव दीक्षित उनके विरुद्ध चुनाव लड़े लेकिन बाद में उनके साथ ही आ गए। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी मामाजी ने उच्च आदर्श स्थापित किए। उन आदर्शों को आज सबको अपने पत्रकारीय जीवन में उतारना चाहिए। मामाजी के विचारों के अनुसरण से पत्रकारिता के समूचे वातावरण में आ सकता है।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मामाजी राष्ट्रीय पत्रकारिता के ब्रांड थे। उन्होंने एक विरासत छोड़ी है, हमें उसका सम्मान करना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यकर्ता निर्माण की जो पद्धति है, वह अद्भुत है। मामाजी संघ की उसी पद्धति से तैयार हुए स्वयंसेवक थे। उन्हें जो कार्य दिया गया, उसे पूरी प्रामाणिकता से पूरा किया। एक प्रखर पत्रकार, संपादक एवं चिंतक के नाते उनकी पहचान है। भारत विभाजन के दौरान संघ ने कितना महत्वपूर्ण कार्य किया, इस संबंध में उन्होंने बहुत परिश्रम से पुस्तक की रचना की है।
हरियाणा और त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि संघ के द्वितीय सरसंघचालक गुरुजी के आदर्श को मामाजी ने अपने जीवन में उतारा था। वह सादगी से जीते थे। अपने जीवन का सर्वस्व उन्होंने देश की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। प्रो. सोलंकी ने कहा कि मामाजी ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता के अद्वितीय उदाहरण थे। उन्होंने जो आलेख और पुस्तकें लिखीं, वे आज भी प्रासंगिक हैं। वे स्वदेशी की आग्रही थे। जम्मू-कश्मीर और राम जन्मभूमि आंदोलन पर मामाजी ने जो लिखा, उसे हमने आज सच होते देखा है। मामाजी ने अपने चिंतन से राष्ट्र का पुनर्जागरण किया था।
इस अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री राम बहादुर राय ने कहा कि भाषायी पत्रकारिता में मामाजी का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने पत्रकारिता में एक बड़ी लकीर खींची थी। मामाजी की पत्रकारिता जीवन के प्रति दृष्टिकोण सिखाती है। हम सबको उनकी पुस्तक ‘आपातकाल की संघर्षगाथा’ अवश्य पढऩी चाहिए। आज की पत्रकारिता को मामाजी की पत्रकारिता से प्रेरणा लेनी चाहिए।
इस अवसर पर मामाजी माणिकचंद्र वाजपेयी, उनके विचार एवं पत्रकारिता पर केंद्रित ‘पाञ्चजन्य’ के विशेषांक और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की पुस्तक ‘शब्द पुरुष : माणिकचंद्र वाजपेयी’ का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने और आभार प्रदर्शन भारत प्रकाशन लिमिटेड के प्रबंधक निदेशक अरुण गोयल ने किया।

शेयर करें..

Post navigation

Previous: दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘खराब’ की श्रेणी में पहुंची
Next: करीब एक माह जेल में रहने के बाद रिहा हुई रिया

Related Post

default featured image
  • राष्ट्रीय

एमपी में रहस्यमयी बीमारी का कहर, किडनी संक्रमण से 22 दिन में 7 बच्चों की मौत; प्रशासन में हड़कंप

RNS INDIA NEWS 30/09/2025
default featured image
  • राष्ट्रीय

कोलकाता में भारी बारिश का कहर, मेट्रो और रेल सेवाएं ठप; करंट लगने से पांच लोगों की मौत

RNS INDIA NEWS 23/09/2025
default featured image
  • राष्ट्रीय

नाबालिग ने 3 साल के बच्चे का अपहरण कर चट्टान से फेंका, सिर पर पत्थर मारकर दी दर्दनाक मौत

RNS INDIA NEWS 21/09/2025

यहाँ खोजें

Quick Links

  • About Us
  • Contact Us
  • PRIVACY POLICY

ताजा खबर

  • राशिफल 01 अक्टूबर
  • गरबा नाइट और फ्रेशर पार्टी में जमकर थिरके छात्र-छात्राएं
  • गंगोत्री के बाद यमुनोत्री धाम के कपाट कब होंगे बंद, आ गई तारीख
  • एसटीएफ और पुलभट्टा पुलिस ने सात किलो अफीम पकड़ी
  • हंगामे के बीच संपन्न हुई बीडीसी की पहली बैठक
  • नगला अवैध अतिक्रमण मामले में कमिश्नर दीपक रावत ने किया स्थलीय निरीक्षण

Copyright © rnsindianews.com | MoreNews by AF themes.