इंडोनेशिया में मस्जिद के लाउडस्पीकर्स पर होगा फैसला, कम होगी अजान की आवाज?

इंडोनेशिया। दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला देश हैं। यहां करीब 6.25 लाख मस्जिद हैं। इन मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल और उसकी आवाज पर समीक्षा करने की अपील की गई है। ये अपील इंडोनेशिया की सुप्रीम मुस्लिम क्लेरिकल काउंसिल ने की है।
ये लाउडस्पेकैर अज़ान बजाने के साथ ही प्रार्थना और उपदेशों के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करती हैं। इसमें से कई बेहद घटिया क्वालिटी और पुराने लाउडस्पीकर हैं जिसके कारण ध्वनि प्रदूषण की शिकायत होती रही है।
नए तरह से लागू होंगे गाइडलाइंस
इंडोनेशिया में मस्जिद के लाउडस्पीकर धार्मिक मंत्रालय के 1978 के नियमों के तहत काम करती हैं। लेकिन नवंबर 2021 की शुरुआत में इंडोनेशियाई उलेमा काउंसिल ने कहा कि मौजूदा सामाजिक डायनामिक्स को देखते हुए इन दिशानिर्देशों को नए तरह से लागू करना जरूरी हो गया है। धर्मगुरुओं ने चिंता जाहिर की है कि मस्जिदों में अनियंत्रित रूप से लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जा रहा है जो कि ठीक नहीं है। देश के धार्मिक मामलों के मंत्री याकूत चोलिल कुमास ने नए गाइडलाइन्स लागू करने के कदम का स्वागत किया है।
मस्जिदों के साउंड सिस्टम्स को ठीक कर रही काउंसिल
इंडोनेशियाई उपराष्ट्रपति मारुफ अमीन के प्रवक्ता मासडुकी बैदलोवी ने अरब न्यूज को बताया है कि धार्मिक विद्वानों ने बढ़ती सार्वजनिक चिंता के रूप में मस्जिद के लाउडस्पीकर्स के अनियंत्रित इस्तेमाल की पहचान की थी। हमने यह ध्यान दिया कि यह बड़ी दिक्कत बन गई है। खासकर शहरी इलाकों में। मौजूदा समय को देखते हुए नए गाइडलाइन्स की जरूरत है। मस्जिद लाउडस्पीकर्स का मुद्दा इंडोनेशिया के पूर्व उपराष्ट्रपति जुसुफ कल्ला द्वारा भी बार-बार उठाया गया है, जो इंडोनेशियाई मस्जिद परिषद के अध्यक्ष हैं।
2017-22 के लिए काउंसिल के मुख्य कार्यक्रमों में से एक मस्जिदों के साउंड सिस्टम्स को ठीक करना है। काउंसिल पहले ही 52,000 से अधिक मस्जिदों में लाउडस्पीकर्स को रिपेयर और एडजस्ट कर चुका है।