बेरोजगार युवाओं के लिए घाटे का सौदा बनी सीएम सौर स्वरोजगार योजना

देहरादून (आरएनएस)। बेरोजगार युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना अब खुद ही उनके लिए मुश्किलों का सबब बन गई है। योजना को लागू करने वाले विभागों पर ही युवाओं को सहयोग देने के बजाय परेशान करने के आरोप लग रहे हैं।
सबसे ज्यादा शिकायतें टिहरी जिले से सामने आ रही हैं, जहां आवेदकों को पहले तकनीकी व्यवहार्यता रिपोर्ट के नाम पर रोका गया और अब उच्च क्षमता के इन्वर्टर लगाने की आड़ में उरेडा के साथ मिलकर संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट लंबित रखी जा रही है। इससे सोलर प्लांट के मीटर नहीं लग पा रहे हैं और बिजली उत्पादन के बावजूद बिलिंग शुरू नहीं हो पा रही है।
उपभोक्ताओं का कहना है कि विभागीय अधिकारी हर दिन नए नियम थोप कर काम रोक रहे हैं। जबकि यूपीसीएल के साथ हुए पावर परचेज एग्रीमेंट में साफ तौर पर तय है कि 200 किलोवाट क्षमता तक उत्पादित बिजली पर 4.64 रुपए प्रति यूनिट की दर से भुगतान होगा। यदि उत्पादन इससे अधिक होता है, तो अतिरिक्त बिजली यूपीसीएल को आधी कीमत यानी 2.32 रुपए प्रति यूनिट पर मिलेगी। इसका सीधा लाभ यूपीसीएल को होना है।
इन शिकायतों पर उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार ने भी नाराजगी जताई। उन्होंने माना कि उपभोक्ता क्यों महंगे प्लांट लगाकर अतिरिक्त बिजली को आधी दर पर बेचेंगे। साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि ग्रिड कनेक्टिविटी को मजबूत करने की दिशा में काम तेज किया जा रहा है और आगे उपभोक्ताओं को परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
उधर, वास्तविकता यह है कि बेरोजगार युवाओं ने बैंक से करीब 75 लाख रुपए तक का कर्ज लेकर प्लांट लगाए हैं। इन पर हर महीने एक लाख रुपए की किश्त का बोझ है। विभागीय अड़चनों की वजह से बिजली उत्पादन होने के बावजूद आय नहीं हो रही है। इससे उपभोक्ता दोहरी मार झेल रहे हैं। एक ओर लाखों यूनिट बिजली बेकार जा रही है, वहीं दूसरी ओर किश्त चुकाने के लिए कई लोग सोना गिरवी रखकर गोल्ड लोन लेने को मजबूर हो रहे हैं। यह स्थिति न केवल युवाओं के सपनों पर चोट कर रही है बल्कि गंभीर आर्थिक संकट का कारण भी बन रही है।