बिजली आपूर्ति बाधित होने से 52 से अधिक गांव जल संकट से परेशान

टिहरी। भागीरथी पर बनी कोटेश्वर झण्डीधार पेयजल योजना में विद्युत आपूर्ति बार-बार बाधित होने से 52 से अधिक गांवों को जल संकट से जूझना पड़ रहा है। इसके चलते पौड़ीखाल क्षेत्र की बड़ी आबादी हैंड पंपो के भरोसे पेयजल जुटाने को मजबूर है। क्षेत्र में कई प्राकृतिक जलस्रोतों के सूखने से भी यहां पेयजल की किल्लत और गहरा गई है। विकास खंड देवप्रयाग में पौड़ी खाल क्षेत्र की 24 ग्राम पंचायतों के लिए भागीरथी पर कोटेश्वर झण्डीधार पम्पिंग योजना का निर्माण किया गया था। इसके तहत झण्डीधार में 8 लाख व पंचूर में 3 लाख लीटर के टैंकों का निर्माण किया गया। मगर झण्डीधार पेयजल योजना में तकनीकी खराबी आते रहने से इससे बराबर जलापूर्ति नहीं बन पायी है। क्षेत्र के केंद्र पौड़ीखाल में इसका सबसे अधिक असर पड़ रहा है। जहां करीब दो हजार की आबादी एक हैंड पंप के भरोसे बनी है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र भट्ट के अनुसार 11 लाख लीटर क्षमता की कोटेश्वर झण्डीधार योजना से जलापूर्ति बार-बार बाधित होने से ग्रामीणों को जल संकट झेलना पड़ रहा है। पौड़ीखाल में दो हैंडपंपों में से एक खराब हो चुका है। जबकि दूसरा हैंडपंप भी लगातार चलने से कभी भी दम तोड़ सकता है। यहां करीब 9 सौ छात्र-छात्राएं भी इसी हैंड पंप के भरोसे हैं, क्योकि झण्डीधार पेयजल योजना से कभी भी जलापूर्ति ठप पड़ जाती है। क्षेत्र में प्राकृतिक जल स्रोत सबसे अधिक प्रभावित हुए है। यहां मालू मरोडा गांव में बड़ा जल स्रोत इस तरह सूख चुका है, मानो यहां कभी वह था ही नहीं। पौडी खाल क्षेत्र के कई गावों में यह स्थिति बन चुकी है। जल संस्थान देवप्रयाग अधिशासी अभियंता नरेशपाल सिंह के अनुसार विद्युत आपूर्ति में बाधा आने से झण्डीधार पंपिंग योजना से जलापूर्ति नहीं हो पाती है। यहां पुराने पंप बदल दिये गए हैं। यहां कुछ समय पहले आया फाल्ट ठीक कर दिये जाने के बाद 13 लाख लीटर के दोनों टैंक भर दिये गए हैं। कोटेश्वर झण्डीधार में बिजली के फाल्ट ठीक करने सहित पंपिंग लाइनों की देख-रेख का जिम्मा जल संस्थान के पास ही है। अधिशासी अभियंता के अनुसार दोनों जिम्मेदारियों को जल संस्थान पूरी तरह निभा रहा है।