यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की हो रही जांच और सैम्पलिंग

रुद्रप्रयाग(आरएनएस)। केदारनाथ यात्रा में संचालित घोड़े खच्चरों में फैली एक्वाइन इन्फ्लूंजा वायरस से संक्रमित घोड़े खच्चरों की सैंपलिंग शुरू कर दी गई है। गौरीकुंड पहुंची पशुपालन विभाग की विशेषज्ञ चिकित्सक एवं केंद्र से आई चिकित्सकों की टीम ने सैंपलिंग एवं जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं बुधवार को भी पैदल मार्ग पर घोड़े खच्चरों की आवाजाही नहीं हुई है जिससे यात्रियों को भी दिक्कतें हुई है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ अशीष रावत ने बताया कि घोड़ा खच्चरों की सैंपलिंग एवं जांच जारी है। अभी घोड़े-खच्चरों की आवाजाही बंद है। बताया कि 2009 में भी इस वायरस ने केदारनाथ यात्रा को प्रभावित किया था। फिलहाल इस रोग की कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। बावजदू समय रहते बेहतर इलाज से पशु ठीक हो रहे हैं। इधर, केदारनाथ यात्रा की रीढ़ कहे जाने वाले घोड़े खच्चरों में फैली बीमारी से यात्रा पूरी तरह प्रभावित हो गई है। तीर्थ यात्री हेली टिकट न मिलने की स्थिति में घोड़े खच्चरों से केदारनाथ दर्शनों को जाते हैं किंतु वायरस के संक्रमण से पशुओं की आवाजाही बंद है। गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर हर वर्ष यात्रा के दौरान करीब 8 हजार घोड़े खच्चर का संचालन किया जाता है। वहीं इस वर्ष यात्रा के प्रारंभ से ही बाहरी जिलों के घोड़े खच्चर सीमित संख्या में गौरीकुंड पहुंचे थे। जबकि चार से पांच हजार घोड़े खच्चर जनपद निवासियों के ही है। बीमारी हो जाने से घोड़े खच्चर संचालकों के सम्मुख आजीविका का डर सता रहा है। वहीं। जिन खच्चर स्वामियों के खच्चर बीमारी से मृत हुए उनका बीमा न होने से मुआवजे का भी इंतजार है। घोड़े खच्चरों का संचालन थमने से यात्रियों की संख्या में गिरावट देखने को मिल रही है जिसका असर केदारघाटी के आम जनमानस के होटल, लॉज, टैक्सी ढाबा दुकान पर पड़ने लगा है वहीं सभी के सम्मुख रोजगार संगत गहराने का भय बना हुआ है। ट्रेड यूनियन के संरक्षक अवतार सिंह नेगी ने कहा कि बीमारी से ग्रसित खच्चरों की सैंपलिंग ओर जांच जारी है। उन्होंने कहा कि अब घोड़ा खच्चर स्वामी को रोजगार के संकट का भय सताने लगा है। सभी पूरे साल भर यात्रा का इंतजार करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को जिनके घोड़े बीमारिंस मृत हुए हैं उन्हें उचित मुआवजा एवं प्रभावितों को रहता राशि दें। वहीं होटल एसोसिएशन अध्यक्ष प्रेम गोस्वामी ने बताया कि केदारनाथ यात्रा की लाइफ लाइन कही जाने वाले घोड़े खच्चरों का इस प्रकार बीमारी से ग्रसित होना यात्रा के लिए बुरी खबर है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष यात्रा के शुरुआत से ही एडवांस बुकिंग बीस से तीन प्रतिशत ही थी। लेकिन पशुओं के बीमारी से संक्रमित हो जाने से संचालन बंद होने की खबर से तीर्थ यात्री चिंतित होने लगे हैं। जिसका असर यात्रा पर भीड़ का कम होना दिख रहा है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को बीमारी से ग्रसित पशुओं का त्वरित इलाज कर ,यात्रा का पुनः सही प्रचार प्रसार करना होगा। वहीं स्थानीय कारोबारियों ने यात्रा में शुरुआत से ही रजिस्ट्रेशन की जटिलताएं संबंधी अन्य प्रक्रियाएं थोपना भी यात्रा में कमी का करना बताया है। सभी ने प्रदेश सरकार से यात्रा को बेहतर संचालित करने की मांग की है।