सात महीने दिवारा के बाद गर्भ गृह में विराजमान हुई मां चंडिका

रुद्रप्रयाग। तल्लानागपुर क्षेत्र की मां नारी देवी चंडिका का नौ दिवसीय महायज्ञ रविवार को पूर्णाहुति एवं भंडारे के साथ समापन हो गया है। क्षेत्र की खुशहाली एवं सुख शांति के लिए महायज्ञ में करीब 11 हजार आहुतियां डाली गईं। अंतिम दिन बड़ी संख्या में भक्तों ने महायज्ञ में शामिल होकर पुण्य अर्जित किया। इसके बाद मां चंडिका की भोग मूर्तियों को मूल मंदिर में विराजमान किया गया। बीते 7 जून से 34 वर्षों बाद सिद्धपीठ नारी देवी मंदिर में चल रहे नौ दिवसीय महायज्ञ के अंतिम दिन ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रों के साथ गणेश पूजा, पंच पूजा एवं मां चंडिका का विशेष पूजन किया गया। इसके बाद ब्राह्मणों ने महायज्ञ में प्रतिदिन की भांति नवें दिन भी लगभग एक घंटे जौ तिल व घी की आहुतियां डाली। अंत में पूर्णाहुति के साथ महायज्ञ में आहुतियां डाली गईं। इस दौरान देवी चंडिका ने नृत्यकर भक्तों का अपना आशीर्वाद दिया। साथ ही कई नर रूप में कई देवी देवता भी अवतरित हुए। इस दौरान मां चंडिका के जयकारों से क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय हो उठा। इसके बाद मां चंडिका की मूर्तियों को शुद्धिकरण के बाद मंदिर में स्थापित की गई। नोजुल्ला मंदिर समिति के संरक्षक सतेन्द्र पाल सिंह बर्त्वाल ने कहा कि महायज्ञ में प्रवासी एवं धियाणियां समेत कई भक्तजन अपनी मनोकामना एवं परिवार की सुख समृद्धि का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। मंदिर समिति के सदस्य धीरज बर्त्वाल ने कहा कि 34 वर्ष बाद महायज्ञ का आयोजन हुआ है। मौके पर पं. रमेशचंद्र सेमवाल, राजेन्द्र प्रसाद सेमवाल, नागेंद्र सेमवाल, देवेश सेमवाल, संजय प्रसाद, अनिरुद्ध सेमवाल, महिंद्र सेमवाल, पुजारी सुरेंद्र प्रसाद मलवाल, श्रीकृष्ण सेमवाल, समिति के दीक्षराज सिंह, जयकृत सिंह, प्रेम सिंह, प्रकाश सिंह, गोविंद सिंह, महिपाल सिंह, महेंद्र सिंह, राजमोहन सिंह, गजेंद्र सिंह, बृजमोहन सिंह, बख्तावर सिंह समेत बड़ी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।