देहरादून में साइबर ठगी के चार मामले, चार व्यक्तियों से खातों से उड़ाए 2.91 लाख रुपये

देहरादून। साइबर ठगों की ओर से ठगी करने के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। सोमवार को साइबर थाने में साइबर ठगी के चार मामले सामने आए। हालांकि, साइबर थाना पुलिस ने दो मामलों में ठगों के खाते फ्रीज कर दिए हैं, जबकि दो मामलों पुलिस ने खातों का पता कर कार्रवाई की जा रही है।

केस नंबर-1
अधिकारी बनकर 51 लाख रुपये उड़ाए: धर्मपुर निवासी व्यक्ति ने शिकायत की कि उन्होंने शिकायत संबंधी पंजाब नेशनल बैंक के टोल फ्री नंबर गूगल पर सर्च कर फोन किया। फोन करने वाले व्यक्ति ने खुद को बैंक का अधिकारी बताते हुए खाते संबंधी जानकारी हासिल कर ली और कुछ ही देर में खाते से 51 हजार रुपये उड़ा दिए। शिकायत मिलने पर साइबर क्राइम के उपनिरीक्षक कुलदीप टम्टा ने जांच करने के उपरांत ठग के पटना बिहार स्थित खाते को फ्री करवा दिया।

केस नंबर-2
लॉटरी के नाम पर खाते से निकाले पांच हजार रुपये: वसंत विहार क्षेत्र निवासी एक व्यक्ति ने बताया कि उनके वाट्सएप नंबर पर लक्की ड्रा में लॉटरी जीतने का संदेश आया था। धनराशि क्लेम करने के लिए प्रोसेसिंग फीस के नाम पर खाते की गोपनीय जानकारी हासिल कर ली और खाते से पांच हजार रुपये निकाल लिए। साइबर थाने के उपनिरीक्षक प्रतिभा ने कार्रवाई करते हुए पेटीएम खाते को फ्रीज करवाया व पेटीएम कंपनी से पत्राचार करते हुए पेटीएम खाताधारक की जानकारी प्राप्त की।

केस नंबर -3
वाहन बेचने के नाम पर 1.18 लाख रुपये उड़ाए: जिला हरिद्वार के थाना रानीपुर क्षेत्र के एक व्यक्ति ने शिकायत दी कि उसने फेसबुक पर आल्टो गाड़ी बेचने के लिए विज्ञापन दिया था। व्यक्ति ने वाहन विक्रेता से संपर्क किया तो आरोपित ने खाता की सारी जानकारी हासिल करते हुए 1.18 लाख रुपये अपने खाते में जमा करवा ली। साइबर क्राइम के उपनिरीक्षक राजीव सेमवाल ने कार्रवाई करते हुए मोबाइल नंबर की जानकारी हासिल कर बैंक खाते का विवरण निकाल लिया है।

केस नंबर-4
बैंक कर्मचारी बताकर खाते से निकाले 1.17 लाख: सहस्त्रधारा रोड निवासी एक व्यक्ति ने साइबर थाने में शिकायत दी है कि उनके मोबाइल पर अज्ञात व्यक्ति ने बैंक कर्मचारी बनकर खाते की वैरिफिकेशन के नाम पर खाते से 1.17 लाख रुपये निकाल लिए हैं। सूचना पर उपनिरीक्षक प्रतिभा ने मामले की जांच करवाई तो पता लगा कि धनराशि फाइन केयर स्मॉल फाइनेंस बैंक के खाते में जमा हुई है। बैंक से संपर्क कर खाताधारक की जानकारी करने के बाद कार्रवाई की जा रही है।