भगवान शिव के भक्तों की आस्था मौसम की दुश्वारियों पर पड़ रही भारी

रुड़की : भगवान शिव के भक्तों की आस्था मौसम की दुश्वारियों पर भारी पड़ रही है। शनिवार सुबह से ठंडी हवा के साथ रिमझिम बारिश हो रही है, लेकिन कंधे पर रखी कांवड़ में गंगाजल और मुंह मे बोल बम के जयकारे लगाते हुए कांवड़ियों के कदम रुक नहीं रहे हैं।

हर साल फाल्गुन और सावन महीने की चतुर्दशी तिथि पर शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इनमें श्रावणी शिवरात्रि को ज्यादा महत्व दिया जाता है। पर फाल्गुनी शिवरात्रि पर भी उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा के लाखों श्रद्धालु हरिद्वार से गंगाजल की कांवड़ लेकर पैदल अलग-अलग शिवालयों में चढ़ाते हैं। इस बार भी कंधे पर कावड़ रखे शिवभक्तों का रेला लक्सर, खानपुर होते हुए पुरकाजी (मुजफ्फरनगर) की तरफ जा रहे हैं।

शनिवार को मौसम अत्यंत खराब रहा। ठंडी हवाओं के साथ ही दिन में लगातार बूंदाबांदी भी होती रही। लेकिन मौसम की यह दुश्वारी भी शिवभक्तों के कदम नहीं रोक पा रही है। कंधे पर गंगाजल की कांवड़ लिए भोले के भक्तों का रेला रिमझिम बारिश में भी भीगने से बचने के लिए कपड़ों के ऊपर प्लास्टिक की बरसाती पहनकर अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते दिखाई दिए।

हरिद्वार से जल लेकर पैदल लौट रहे गाजियाबाद के श्रद्धालु रवि कुमार, कृष्ण चंद शर्मा, प्रेम शर्मा, मुकेश सोनी ने बताया कि कांवड़ यात्री हरिद्वार से गंगाजल भरकर अपनी अपनी मन्नत के अनुसार अलग-अलग शिवालयों में चढ़ाते हैं। हरिद्वार से अपने गंतव्य तक की पैदल दूरी का हिसाब लगाने के बाद ही वे घर से जल भरने निकलते हैं।

ऐसे में वे यदि किसी भी कारण से बीच मे रुकते हैं, तो वे चतुर्दशी तक अपनी मंजिल पर नहीं पहुंच सकते। इसलिए बारिश में भी कांवड़िये लगातार चलते रहते हैं। शामली के शिवभक्त दामोदर सिंह, रानी वर्मा, अखिल वर्मा का कहना है कि वे शिव का नाम लेते हुए पैदल चलते हुए उन्हें किसी भी दिक्कत का अहसास नहीं हो रहा है।